भाजपा का पीडीपी अध्यक्ष पर आरोप – निहित स्वार्थ के लिए बच्चों के मन में जहर भर रहीं महबूबा मुफ्ती
जम्मू, 20 सितम्बर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू एवं कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाया कि वह निहित स्वार्थ के लिए स्कूलों में बच्चों के ‘रघुपति राघव राजाराम’ गाने का विरोध कर रही हैं और उनके मन में ‘जहर’ भर रही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने सोमवार को ट्विटर पर एक वीडियो डाला था, जिसमें स्कूल के शिक्षक छात्रों को महात्मा गांधी का प्रसिद्ध भजन ‘रघुपति राघव राजाराम’ गाने को कह रहे हैं। महबूबा मुफ्ती ने इसे सरकार का वास्तविक ‘हिन्दुत्व का एजेंडा’ करार दिया था।
पीडीपी की अध्यक्ष ने ट्वीट में कहा था, ‘धार्मिक विद्वानों को जेल में डालना, जामा मस्जिद बंद करना और यहां स्कूल के बच्चों को हिन्दू भजन गाने का निर्देश देना कश्मीर में भारत सरकार के वास्तविक हिन्दुत्व के एजेंडा को उजागर करता है।’
J&K BJP President Sh. @ImRavinderRaina inaugurated a free medical camp organized by J&K BJP Vice President Sh. @YudhvirSethiBJP at Centre Basic School Purani Mandi, Jammu.#SwasthyaSeSamriddhi pic.twitter.com/wf7chqLoGB
— BJP Jammu & Kashmir (@BJP4JnK) September 20, 2022
रवींद्र रैना ने महबूबा के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें ‘बाल मन में जहर पैदा करके’ इस तरह की राजनीति करनी बंद कर देनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान यह भजन गाकर पूरे देश को एकजुट किया था। स्कूली बच्चे अपनी सुबह की प्रार्थना सभा में ‘लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी’ भी गाते हैं और किसी को कोई आपत्ति नहीं है।’’
रैना ने भाजपा की ओर से यहां ‘सेवा पखवाड़ा’ के तहत आयोजित मुफ्त चिकित्सा शिविर से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जान बूझकर इस तरह के विवाद पैदा किए।
‘कश्मीर में अपना आधार खो चुकी हैं महबूबा‘
उन्होंने कहा, “महबूबा को इस तरह की राजनीति करनी बंद करनी चाहिए। वह कश्मीर में अपना आधार खो चुकी हैं और घाटी के लोगों ने उन्हें नकार दिया है। अब वह इस तरह का विवाद खड़ा कर रही हैं। यह देश हम सभी का है, सभी धर्म के लोग-हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई यहां रहते हैं। महबूबा को अल्लामा इकबाल का ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना’ पढ़ते रहना चाहिए।’’