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भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार पर साधा निशाना, बोले – 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों पर 10 उद्योगपति भारी

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार पर साधा निशाना, बोले – 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों पर 10 उद्योगपति भारी

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पीलीभीत, 13 फरवरी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के समने अपनी ही सरकार पर यह कहते हुए निशाना साधा कि देश के 99 फीसदी लोगों पर 10 उद्योगपति भारी हैं और मेहनतकश लोगों का अधिकार सिकुड़ रहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के पुत्र वरुण ने बमरोली में आयोजित जनसंवाद चौपाल के दौरान कहा, ‘यह हमारी व्यवस्था की खामी है, जिसमें जरूरतमंद किसान, नौजवान, बेरोजगार जब खुद के पैरों पर खड़ा होने के लिए लोन मांगता है तो उनके हिस्से में उद्योगपतियों के बाद मात्र नौ फीसदी हिस्सा आता है। उनको यह बोला जाता है कि आप लोन जमा नही कर पाएंगे।’

मैं राजनीति में आपकी आवाज उठाने आया हूं

एक दिवसीय दौरे पर संसदीय क्षेत्र में आए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चचेरे भाई वरुण बोले, मैं राजनीति में आपकी आवाज उठाने आया हूं। खेती, बीमारी, बिजनेस, बेटी की शादी के लिए इंसान को कभी न कभी लोन की जरूरत पड़ती ही है। आम आदमी की बजाय देश पर अधिकार बड़े धनाढ्यों का हो गया है।’

किसान, मजदूर और नौजवानों का अधिकार सिकुड़ रहा

सांसद वरुण गांधी ने कहा, ‘इस देश को चलाने का काम किसान करता है, बनाने का काम मजदूर करता है, भविष्य नौजवान गढ़ता है। मध्यमवर्गीय आर्थिक रीढ़ की हड्डी हैं, लेकिन इन सभी का अधिकार सिकुड़ रहा है। देश में इंसानों के सपनों की गिनती सब्जी मंडी की तरह हो रही है। कौन कौम कितनी जाति की है, उसके हिसाब से व्यवस्थाएं चलती हैं, ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। सिर्फ काबिलियत, साहस, मेहनत और शिक्षा से इंसान की गिनती होनी चाहिए। मैं उस हिन्दुस्तान को देखना चाहता हूं, जिसमें समानता हो।’

मैं और मेरी मां पीलीभीत के हर इंसान का दर्द सुख दुःख समझते हैं

भाजपा नेता ने कहा, ‘मैं और मेरी मां (मेनका गांधी) पीलीभीत के हर इंसान का दर्द सुख दुःख समझते हैं। लखनऊ में कड़कड़ाती ठंड में संविदाकर्मी शिक्षामित्र अपने सम्मानजनक मानदेय की मांग करते रहे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। कोविड में जान की परवाह किये बगैर आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री व अन्य लोगों को सम्मानजनक मानदेय के लिए परेशान होना पड़ रहा है।’ उन्होंने सरकार से निवेदन किया कि संविदाकर्मियों को सरकारी अफसरों की तरह सम्मान दिया जाए।

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