भाजपा का दावा – भारत का नागरिक बनने से पहले ही वोटर बन गईं थीं सोनिया गांधी
नई दिल्ली, 13 अगस्त। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच एकतरफ विपक्ष ने संसद से लेकर सड़क तक संग्राम मचा रखा है और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) व भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाकर हमलावर बने हुए हैं, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और गांधी परिवार पर पलटवार किया है।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाते हुए दावा किया है कि SIR पर हल्ला करने वाले राहुल गांधी की मां और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी भारत की नागरिक बनने से पहले ही यहां की वोटर बन गईं थीं। उन्होंने कहा कि भारत की नागरिकता लेने से पहले ही सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची में जोड़ दिया गया था।
सोशल मीडिया एक्स पर लिखे एक पोस्ट में अमित मालवीय ने दावा किया, ‘सोनिया गांधी का नाम भारत की मतदाता सूची में जोड़े जाने के चुनावी कानूनों के घोर उल्लंघनों से भरा हुआ है। शायद यही कारण है कि राहुल गांधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्ष में हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध कर रहे है।’
1980 में पहली बार जोड़ा गया था नाम
अमित मालवीय ने आगे लिखा, ‘उनका नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में जोड़ा गया। यह उनके भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले ही हुआ था। उस समय उनके पास इतालवी नागरिकता थी। उस समय सोनिया गांधी और उनका परिवार देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास 1, सफदरजंग रोड पर रहता था। इससे पहले तक, उस पते पर पंजीकृत मतदाता के रूप में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी ही थे। 1980 में, नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को अर्हता तिथि मानकर संशोधन किया गया। इस संशोधन के दौरान, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र संख्या 145 की मतदाता सूची में क्रम संख्या 388 पर जोड़ा गया था।’
Sonia Gandhi’s tryst with India’s voters’ list is riddled with glaring violations of electoral law. This perhaps explains Rahul Gandhi’s fondness for regularising ineligible and illegal voters, and his opposition to the Special Intensive Revision (SIR).
Her name first appeared… pic.twitter.com/upl1LM8Xhl
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 13, 2025
वोटर लिस्ट में नाम शामिल होना, कानून का उल्लंघन
मालवीय ने आरोप लगाया, ‘मतदाता सूची में यह एंट्री उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन थी, जिसके तहत मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना जरूरी है। 1982 में भारी विरोध के बाद उनका नाम सूची से हटा दिया गया था और 1983 में फिर से उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया गया। लेकिन लिस्ट में उनके नाम की फिर से वापसी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए।’
सोनिया को कब मिली थी नागरिकता?
मालवीय ने मामले को और स्पष्ट करते हुए लिखा है, ‘उस वर्ष मतदाता सूची के नए संशोधन में, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 140 पर सीलिरयल नंबर 236 पर दर्ज था, मतदाता के रूप में और पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी जबकि सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता ही 30 अप्रैल, 1983 को मिली थी।’
वोटर लिस्ट में दो बार जुड़ा नाम
उन्होंने दावा किया और लिखा, ‘दूसरे शब्दों में कहें तो सोनिया गांधी का नाम बुनियादी नागरिकता की जरूरत पूरी किए बिना दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ। पहली बार 1980 में एक इतालवी नागरिक के रूप में और फिर 1983 में, कानूनी तौर पर भारत की नागरिक बनने से कुछ महीने पहले। हम यह नहीं पूछ रहे कि राजीव गांधी से शादी करने के 15 साल बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में क्यों देरी हुई? यदि यह जबर्दस्त चुनावी कदाचार नहीं है तो और क्या है?’
राहुल का चुनाव आयोग पर हमला जारी
फिलहाल पिछले हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई सबूत पेश करते हुए चुनाव आयोग पर भाजपा की मिलीभगत से व्यापक धांधली और SIR के जरिए ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाने वाले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग व भाजपा के खिलाफ अपना हमला जारी रखा है।
राहुल गांधी ने इस क्रम में मंगलवार को निर्वाचन आयोग पर ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत को लागू करने का अपना कर्तव्य नहीं निभाने का आरोप लगाया और मतदाता सूची में अनियमितताओं के दावों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘अभी पिक्चर बाकी है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह संस्थागत चोरी है और एसआईआर के कारण बड़ी संख्या में नागरिक, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों जैसे कमजोर समूह, मताधिकार से वंचित हो जाएंगे, जिन्हें आवश्यक सख्त दस्तावेज प्रस्तुत करने में कठिनाई हो सकती है।
