बिहार : मांझी ने गठबंधन में टूट की अटकलों पर लगाया विराम, बोले – एनडीए में रहकर आवाज उठाते रहेंगे
पटना, 2 जून। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के एक घटक दल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतन राम मांझी ने पिछले कुछ दिनों से उभर रहीं गठबंधन में टूट की अटकलों को विराम देते हुए कहा है कि वह एनडीए में ही रहकर जनता की आवाज उठाते रहेंगे।
76 वर्षीय ‘हम’ नेता ने बुधवार को यहां पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा, ‘हम एनडीए में हैं और एनडीए में ही रहेंगे। एनडीए में रहते हुए गरीबों के मुद्दों पर हम अनुरोध पूर्वक आवाज उठाते रहेंगे।’ पार्टी के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता अमरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बैठक के बाद यह जानकारी दी।
दूसरी तरफ ‘हम’ प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, ‘मांझी पहले ही कह चुके हैं कि वह आखिरी सांस तक नीतीश कुमार के साथ रहेंगे। ऐसे में खयाली पुलाव पकाने वाले और मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले नींद से जग जाएं। बिहार की जनता ने मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार को चुना है और वो ही जनता की सेवा करेंगे। किसी को जन्मदिन और सालगिरह की बधाई दे देने से सत्ता नहीं डोलती। एनडीए पूरी तरह से इंटैक्ट है।’
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से मांझी के तेवर कुछ बदले नजर आ रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पर निशाना साधने से परहेज नहीं करते और अपनी ही सरकार पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
- मांझी ने लालू-राबड़ी को दी थी वैवाहिक वर्षगांठ की बधाई
इसी क्रम में जीतन राम ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को उनकी शादी की 48वीं सालगिरह पर ट्वीट के जरिए बधाई तो राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं को और बल मिला कि एनडीए में जल्द ही बिखराव होगा। मांझी के रुख को देखते हुए ही बीते दिनों आरजेडी नेता ने यहां तक कहा था कि इस मानसून एनडीए की नैया डूबने वाली है।
- वीआईपी अध्यक्ष मुकेश साहनी के तेवर भी सख्त रहे हैं
देखा जाए तो मांझी ही नहीं वरन राजग के एक अन्य सहयोगी दल विकासशील इंसाफ पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश साहनी के तेवर भी हालिया दिनों में सख्त रहे हैं। दो दिन पहले मांझी के आवास पर राज्य पशु एवं मत्स्य संशाधन मंत्री मुकेश साहनी ने उनसे मुलाकात की तो उससे भी अटकलों को हवा मिलने लगी थी। फिलहाल मांझी के ताजा बयानों से कयासबाजियों का दौर फिलहाल थम गया है।
दिलचस्प यह है कि मांझी और मुकेश साहनी के पास सिर्फ चार-चार विधायक ही हैं। लेकिन यह संख्या काफी महत्वपूर्ण हैं और संख्याबल थोड़ा भी इधर-उधर होने से सरकार गिर सकती है। यही वजह कि संख्याबल में कम होने के बावजूद मांझी और सहनी का सत्ता में रुतबा है।