दिल्ली मेयर चुनाव : ‘आप’ को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने मनोनीत सदस्यों के मतदान पर लगाई रोक
नई दिल्ली, 17 फरवरी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर जारी रस्साकसी के बीच आम आदमी पार्टी (आम) को बड़ी राहत मिली, जब शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एल्डरमैन मनोनीत सदस्यों के मतदान पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही जल्द से जल्द चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने जल्द से जल्द चुनाव कराने का दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट में याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने कहा कि मेयर चुनाव के लिए पहली बैठक में ही चुनाव हो और इस संबंध में 24 घंटे के भीतर नोटिस जारी किया जाना चाहिए। ये नोटिस उस तारीख को तय करेगा, जिस दिन मेयर, डिप्टी मेयर और अन्य सदस्यों का चुनाव होगा।
‘आप‘ की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद आम आदमी पार्टी को बड़ी राहत मिली है। ‘आप’ की ओर से मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में आग्रह किया गया था कि बुजुर्ग मनोनीत सदस्यों को मेयर चुनाव में वोट न देने दिया जाए, साथ ही चुनाव जल्द से जल्द कराए जाए। कोर्ट ने इस मांग को मानते हुए ‘आप’ के हक में फैसला दिया है।
24 घंटे के भीतर पहली बैठक के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस चुनाव में मनोनीत सदस्य मतदान न करें। वहीं, मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव जल्द से जल्द हो और 24 घंटे के भीतर पहली बैठक के लिए नोटिस जारी किया जाए। सीजेआई ने कोर्ट में कहा कि मनोनीत सदस्य किसी भी बैठक में वोट नहीं दे सकते और इसमें पहली बैठक भी शामिल है। वहीं, पहली बैठक में मेयर का चुनाव होने के बाद उसकी अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और अन्य सदस्यों के लिए चुनाव होना चाहिए।
तीन बार बैठक के बाद भी नहीं हो सका था चुनाव
गौरतलब है कि एमसीडी के नए मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए तीन बार बैठक बुलाई जा चुकी है, लेकिन भाजपा और आप पार्षदों के बीच हंगामे के कारण ये संभव नहीं हो सका। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के उप राज्यपाल और भाजपा पर आरोप लगाया कि वह ये चुनाव नहीं होने देना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि इस बार आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत दर्ज की थी। पिछले साल ही चुनाव के नतीजे आ गए थे। तब से ही सदन में मेयर चुनाव को लेकर तीन बार बैठक का आयोजन किया गया, लेकिन भारी हंगामे के बीच ऐसा नहीं हो सका।