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आरक्षण में वर्गीकरण के खिलाफ भारत बंद का यूपी में मामूली असर, दलित संगठनों ने निकाले जुलूस

आरक्षण में वर्गीकरण के खिलाफ भारत बंद का यूपी में मामूली असर, दलित संगठनों ने निकाले जुलूस

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लखनऊ, 21 अगस्त। आरक्षण में वर्गीकरण से संबंधित उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश को लेकर विभिन्न संगठनों द्वारा बुधवार को आहूत ‘भारत बंद’ का उत्तर प्रदेश में मामूली असर दिखा। आरक्षण के समर्थन में राज्य के कई हिस्सों में दलित संगठनों ने जुलूस निकाले, पदयात्रा की और प्रदर्शन किया।

राज्य में ज्यादातर दुकानें खुली रहीं और कामकाज सामान्य

राज्य में ज्यादातर दुकानें खुली रहीं और कामकाज सामान्य रूप से चलता रहा। अनुसूचित जातियों (एससी) के आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के हाल के एक आदेश से असहमत कुछ समूहों द्वारा आहूत एक दिन के ‘भारत बंद’ के मद्देनजर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आजाद समाज पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) जैसे राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया जैसे राजनीतिक दलों ने सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक आहूत ‘भारत बंद’ का समर्थन किया था।

राजधानी लखनऊ में हजरतगंज और उसके आस-पास के कुछ प्रमुख मार्गों पर राजनीतिक कार्यकर्ता प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए, जिसके कारण यातायात प्रभावित हुआ। बंद के आह्वान के बावजूद दुकानें तथा बाजार खुले रहे और कारोबार सामान्य रहा। आरक्षण समर्थक समूहों के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने के लिए लखनऊ शहर के मध्य में अंबेडकर चौक पर बड़ी संख्या में बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक एकत्र हुए।

प्रयागराज में बंद के मद्देनजर त्वरित काररवाई बल (आरएएफ) के जवानों को तैनात किया गया था। आगरा में विरोध-प्रदर्शनों के एक समूह ने पैदल मार्च निकाला और नारे लगाए और कानपुर में भी इसी तरह के दृश्य देखे गए। शहर में बसों का संचालन भी सामान्य रहा।

उन्नाव, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, संभल, जालौन, इटावा, मथुरा, हाथरस और गोरखपुर समेत अनेक जिलों में भी आरक्षण के समर्थन में विभिन्न संगठनों द्वारा जुलूस निकाले जाने और प्रदर्शन किये जाने की खबरें मिली हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में असर रखने वाली आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने बिजनौर, सहारनपुर और आसपास के जिलों में विरोध मार्च निकाला।

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के विरोध में भारत बंद

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गत एक अगस्त को अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके, जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।

हालांकि न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के “मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों” के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा न कि राजनीतिक लाभ के आधार पर। इसी फैसले से असहमत देशभर के 21 संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था।

पटना में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज

भारत बंद को लेकर अन्य राज्यों की बात करें तो छिटपुट घटनाओं को छोड़ कमोबेश शांति ही रही। राजस्थान में इसका सबसे ज्यादा असर दिखा जबकि बिहार की राजधानी पटना में पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना पड़ा। वहीं झारखंड, पंजाब और दिल्ली में भी बंद का थोड़ा प्रभाव देखने को मिला।

दिल्ली के तुगलकाबाद, राजा गार्डन, लक्ष्मी नगर सहित गाजियाबाद और हापुड़ में दलित संगठनों और राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रदर्शन किया गया. वहीं दिल्ली के जंतर मंतर पर लोग जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और आजाद समाज पार्टी द्वारा प्रदर्शन किया गया।

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