1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. ‘न्यूड होना हमेशा अश्लील नहीं होता’, केरल हाईकोर्ट ने महिला एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को किया रिहा
‘न्यूड होना हमेशा अश्लील नहीं होता’, केरल हाईकोर्ट ने महिला एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को किया रिहा

‘न्यूड होना हमेशा अश्लील नहीं होता’, केरल हाईकोर्ट ने महिला एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को किया रिहा

0
Social Share

नई दिल्ली, 6 जुलाई। महिला एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को केरल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली। पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार की गई रेहाना को रिहा करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि हर बार न्यूडिटी को अश्लीलता से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। केरल हाई कोर्ट ने पॉक्सो कानून से जुड़े एक मुकदमे से महिला अधिकार कार्यकर्ता को आरोपमुक्त करते हुए कहा कि आधी आबादी को प्राय: अपने शरीर पर स्वायतता का अधिकार नहीं मिलता है और अपने शरीर तथा जीवन के संबंध में फैसले लेने के कारण उन्हें परेशानी, भेदभाव एवं दंड का सामना करना पड़ता है एवं अलग-थलग किया जाता है।

महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फातिमा के खिलाफ बच्चों का यौन शोषण से संरक्षण (पॉक्सो) कानून, किशोर न्याय और सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के तहत मुकदमा चल रहा था। फातिमा का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह अपने नाबालिग बच्चों के समक्ष अर्धनग्न अवस्था में खड़ी थीं और उन्होंने अपने शरीर पर ‘‘चित्रकारी” की अनुमति थीं।

फातिमा को आरोपमुक्त करते हुए न्यायमूर्ति कौसर एदाप्पागथ ने कहा कि 33 वर्षीय कार्यकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों के आधार पर किसी के लिए यह तय करना संभव नहीं है कि उनके बच्चों का किसी भी रूप से ‘ऐंद्रिक गतिविधि’ में यौन संतुष्टि के लिए उपयोग हुआ हो।

अदालत ने कहा कि उन्होंने बस अपने शरीर को ‘कैनवास’ के रूप में अपने बच्चों को ‘चित्रकारी’ के लिए इस्तेमाल करने दिया था। अदालत ने कहा, ‘‘अपने शरीर के बारे में स्वायत फैसले लेने का महिलाओं का अधिकार उनकी समानता और निजता के मौलिक अधिकार के मूल में है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत निज स्वतंत्रता के तहत भी आता है।”

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code