1. Home
  2. हिन्दी
  3. महत्वपूर्ण
  4. कहानियां
  5. सावधान! कोविड-19 का डेल्टा वैरिएंट शुरुआती संक्रमण से 172 फीसदी ज्यादा खतरनाक
सावधान! कोविड-19 का डेल्टा वैरिएंट शुरुआती संक्रमण से 172 फीसदी ज्यादा खतरनाक

सावधान! कोविड-19 का डेल्टा वैरिएंट शुरुआती संक्रमण से 172 फीसदी ज्यादा खतरनाक

0
Social Share

नई दिल्ली, 25 जून। कोविड-19 संक्रमण के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस को लेकर एक डराने वाला तथ्य सामने आया है कि यह महामारी के शुरुआती संक्रमण के मुकाबले 172 फीसदी ज्यादा खतरनाक है। ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली दुनिया की अग्रणी वैज्ञानिक पत्रिकाओं में एक ‘नेचर’ में प्रकाशित एक शोध से यह जानकारी सामने आई है।

नए अध्ययन से यह स्पष्ट हो रहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट शुरुआती कोरोना वायरस से करीब 172 फीसदी ज्यादा संक्रामक है। यही नहीं वरन डेल्टा प्लस में हुए म्यूटेशन से यह संक्रामकता और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। शोध में कहा गया है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट अल्फा से 60 फीसदी ज्यादा संक्रामक है।

गौरतलब है कि अल्फा वैरिएंट पहली बार ब्रिटेन में मिला था। वहां अल्फा को ही दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अल्फा वैरिएंट शुरुआती कोरोना वायरस की तुलना में 70 फीसदी ज्यादा संक्रामक था। निष्कर्ष यह निकलता है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट शुरुआती वायरस की तुलना में 172 फीसदी ज्यादा संक्रामक हो चुका है। अभी 90 से अधिक देशों में इसका प्रसार है तथा संक्रमण में सर्वाधिक भूमिका इसी की मानी जा है।

हालांकि डेल्टा प्लस पर अभी शोध जारी हैं, लेकिन जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, उनके अनुसार इसमें जो नया म्यूटेशन के417एन हुआ है, वह म्यूटेशन पहले दक्षिण अफ्रीका में मिले बीटा वैरिएंट में पाया गया था। कहा रहा है कि यह म्यूटेशन मानव शरीर में उत्पन्न एंटीबॉडी के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर सकता है।

वैश्विक एजेंसी जीआईएसएआईडी ने हालांकि डेल्टा प्लस के 166 जीनोम सिक्वेंसिंग का अध्ययन किया है और यह दावा किया है कि इसके ज्यादा संक्रामक या भयावह होने का कोई तथ्य नहीं मिला है। लेकिन वैज्ञानिक समुदाय अभी इससे संतुष्ट नहीं है। शोधकर्ताओं के अनुसार नया म्यूटेशन के417एन इम्यून इस्केप एवं स्पाइक प्रोटीन के रिसीप्टर बाइंडिग डोमेन से जुड़ा है। इसका मतलब है कि इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है तथा यह एंटीबॉडी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर सकता है।

डेल्टा वैरिएंट पर टीकों का असर अपेक्षाकृत कम

पत्रिका ने अमेरिका में हुए अध्ययनों के हवाले से कहा है कि डेल्टा वैरिएंट पर टीकों का असर हो तो रहा है, लेकिन यह असर थोड़ा कम है। पब्लिक हेल्थ इग्लैंड के अध्ययन का उल्लेख कर बताया गया है कि एस्ट्राजेनेका और फाइजर की एक डोज जिन लोगों ने ले रखी है, उनमें डेल्टा वायरस के संक्रमण का खतरा सिर्फ 33 फीसदी कम होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सिर्फ 33 फीसदी ही बचाव होता है जबकि अल्फा वैरिएंट में यह 50 फीसदी पाया गया है।

इसी प्रकार एस्ट्राजेनेका की दो डोज लेने के बाद डेल्टा के विरुद्ध 60 फीसदी सुरक्षा मिलती है जबकि अल्फा के विरुद्ध यह 66 फीसदी प्रभावी होता है। लेकिन फाइजर की दोनों खुराक लेने के बाद डेल्टा के विरुद्ध 88 फीसदी बचाव होता है जबकि अल्फा में यह 93 फीसदी है। इस प्रकार दो खुराक लेने के बाद दोनों टीके असरदार पाए गए हैं। दूसरे टीकों पर भी असर का अध्ययन किया जा रहा है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code