अतीक-अशरफ हत्याकांड: न्यायिक आयोग ने 21 पुलिसकर्मियों को भेजा नोटिस, 15 दिन में बयान दर्ज कराने का निर्देश
प्रयागराज, 15 मई। माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में न्यायिक आयोग ने 21 पुलिस कर्मियों को नोटिस भेजा है। इन सभी पुलिस कर्मियों को 15 दिन के अंदर बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि आज 15 मई को अतीक-अशरफ की हत्या हुए पूरे एक महीने हो गए हैं।
बता दें कि अतीक-अशरफ को पुलिस सुरक्षाकर्मियों के साथ प्रयागराज के अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले गई थी। उसी वक्त तीन हमलावर फर्जी मीडियाकर्मी बनकर आए और उन्होंने अतीक-अशरफ पर एक बाद एक कई गोलियां मारी। गोलियों की तड़तड़ाहट इतनी भयानक थी की सुरक्षा में लगे कर्मी भाग खड़े हुए और इस हमले में दोनों भाइयों की मौके पर ही मौत हो गई।
हालांकि पुलिस ने तीनों हमलावरों को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया था। गोली चलाने के बाद हमलावरों ने धार्मिक नारे लगाते हुए खुद को सरेंडर कर दिया था। अतीक और अशरफ को गोली मारने वाले तीनों आरोपियों के नाम लवलेश तिवारी, सुन्नी और अरुण मौर्य हैं।
पुलिस कस्टडी में किसी भी कैदी की हत्या होती है तो सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिम है। विपक्ष के सभी नेताओं ने भी अपना फर्ज बखूबी निभाया और सरकार को घरने में कोई कसर नहीं छोड़ा। किसी ने यूपी सरकार की सुरक्षा व्यस्था को लाचार, बिमार बताया तो किसी ने योगी सरकार को तानाशाही सरकार भी बताया।
इसके साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था, ‘उप्र में अपराध की पराकाष्ठा हो गयी है और अपराधियों के हौसले बुलंद है। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसीकी हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या? इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।”