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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा – केंद्र ने राज्य की बाढ़ को ‘गंभीर प्राकृतिक आपदा’ घोषित किया

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा – केंद्र ने राज्य की बाढ़ को ‘गंभीर प्राकृतिक आपदा’ घोषित किया

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गुवाहाटी, 16 जुलाई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने इस वर्ष राज्य में आई बाढ़ को ‘गंभीर प्राकृतिक आपदा’ घोषित किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रभावित लोगों को हो रही कठिनाइयों को कम करने के लिए धन मुहैया करा रही है। केंद्र राहत और पुनर्वास के खर्च का 90 प्रतिशत वहन करेगा।

मुख्यमंत्री सरमा ने बाढ़ में अपनी पाठ्यपुस्तकों को खो चुके छात्रों को एकमुश्त 1,000 रुपये का भुगतान प्रदान करने की योजना शुरू करने के बाद दिसपुर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बाढ़ पीड़ित लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है।

दो बार की बाढ़ से 195 लोगों की मौत, 37 अब भी लापता

गौरतलब है कि असम गत छह अप्रैल से दो बार बाढ़ की आपदा से प्रभावित हुआ है। दूसरी बार आई बाढ़ ज्यादा विनाशकारी रही है, जिससे 90 लाख लोग या राज्य की एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई है। इस विपदा में 195 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 37 लोग अब भी लापता हैं।

सरमा ने कहा, ‘हमने इतनी भीषण बाढ़ नहीं देखी थी। हमारी प्राथमिकता प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना, चिकित्सा सहायता प्रदान करना और पानी घटने के बाद उन्हें घर लौटने में मदद करना था। यह कार्य चुनौतीपूर्ण था।’

घर लौटने वालों को बर्तन अनुदानके रूप में प्रति परिवार 3,800 रु. की एकमुश्त सहायता

उन्होंने कहा कि 98,500 से अधिक लोगों को निकाला गया जबकि 7,42,250 लोग विस्थापित हुए और उन्होंने राहत शिविरों में शरण ली। उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य सरकार ने घर लौटने वालों को ‘बर्तन अनुदान’ के रूप में प्रति परिवार 3,800 रुपये की एकमुश्त सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाया है। लगभग 1,89,752 परिवारों की पहचान की गई और उन्हें राशि स्थानांतरित की गई है। वहीं 35,000 परिवार ऐसे हैं, जिनके बैंक खाते संबंधी विवरणों को सत्यापित करने की प्रक्रिया चल रही है।

यह पूछे जाने पर कि क्या बाढ़ को ‘राष्ट्रीय समस्या’ घोषित किया जाना चाहिए, मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ सामाजिक संगठनों ने ऐसी मांग रखी है, लेकिन केंद्र पहले ही असम की बाढ़ को ‘गंभीर प्राकृतिक आपदा’ घोषित कर चुका है और राज्य सरकार को स्थिति से निबटने के लिए आवश्यक धनराशि मिल रही है। उन्होंने कहा कि तटबंधों, सड़कों, पुलों, स्कूलों, सरकारी भवनों और आंगनवाड़ी केंद्रों जैसे क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे का आकलन और पुनर्निर्माण अगस्त में किया जाएगा।

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