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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की राहुल गांधी को नसीहत – ‘सेना को राजनीति में न घसीटें’

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की राहुल गांधी को नसीहत – ‘सेना को राजनीति में न घसीटें’

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नई दिल्ली, 19 फरवरी। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नसीहत देते हुए बुधवार को कहा कि उन्हें सेना को राजनीति में नहीं घसीटना चाहिए। ऐसा हुआ तो यह चिंता की बात होगी।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने समाचार एजेंसी ANI से पॉडकास्ट में राहुल गांधी के उस बयान पर बात की, जिसमें उन्होंने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को उद्धृत करते हुए कहा था कि लद्दाख सेक्टर में घुसपैठ हुई थी। आर्मी चीफ ने कहा कि सेना को राजनीति में नहीं घसीटा जाना चाहिए।

‘चीन के साथ बातचीत से कई संदेह दूर हो जाएंगे’

सेना प्रमुख ने कहा, ‘हमने चीन के साथ बातचीत के रास्ते को आगे बढ़ाया है। चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर हमने बातचीत को बढ़ावा दिया है। यदि हम एक दूसरे से बात करेंगे तो बहुत से संदेह दूर हो पाएंगे। हमारी यह राय रही है कि किसी भी तरह से संदेह को खत्म किया जाए। इसके लिए हमने कोर कमांडर्स को ताकत दी है कि जहां भी संभव हो, वे फैसला ले लें। यदि बातचीत से कोई मसला हल होता है तो कर लिया जाए। उन्हें यह पावर दी गई है कि यदि उनके लेवल से कोई मामला हल हो सकता है तो वे कर लें। उसके लिए किसी भी तरह की मंजूरी का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।’

महिलाओं की सेना में भर्ती : वहीं महिलाओं को देवी काली की तरह सेना में शामिल करने की अपनी टिप्पणी पर एक बार फिर से उन्होंने कहा, ‘मेरा भाव यह था, जो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के लिए कहा गया था – बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।’ गौरतलब है कि महिलाओं को सेना में शामिल करने के वह हिमायती रहे हैं।

हथियारों की बिक्री : सेना प्रमुख ने इस दौरान हथियारों की बिक्री को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘आज हमारे यहां से विदेशों में हथियार भेजे जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि अब हथियार बनाने वाली कम्पनियों को आसानी से लाइसेंस मिल रहे हैं औऱ छूट मिल रही है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत लंबे समय से यह कहता रहा है कि हम संवाद चाहते हैं। लेकिन जब जरूरी होगा तो हम जंग से भी पीछे नहीं हटेंगे।’

सेना में हम एक परिवार की तरह काम करते हैं

इस दौरान जब पूछा गया कि यदि सेना में कोई शहीद होता है तो आप लोग कैसे परिवार को बताते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे लिए बेहद दर्दनाक अनुभव होता है, लेकिन हम एक परिवार की तरह काम करते हैं। सेना में इंजीनियर, आर्टी, इन्फैंट्री समेत सभी लोग एक परिवार जैसे हैं। हम यदि आज भी कोई कार्य़क्रम करें तो शहीदों की विधवाएं बड़ी संख्या में आती हैं। इससे पता चलता है कि हम लोग एक परिवार की तरह ही काम करते हैं।’

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