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कनाडा में सिख संगठनों का भारत विरोधी एजेंडा तेज, बोले- G7 समिट में पीएम मोदी को न बुलाया जाए

कनाडा में सिख संगठनों का भारत विरोधी एजेंडा तेज, बोले- G7 समिट में पीएम मोदी को न बुलाया जाए

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नई दिल्ली, 31 मई। कनाडा में बसे सिख संगठनों ने एक बार फिर भारत विरोधी एजेंडा तेज करते हुए सरकार से मांग की है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित न करे। यह सम्मेलन अगले महीने कनाडा के कनईनस्किस (अल्बर्टा) में आयोजित होना है। प्रधानमंत्री मोदी को G7 समिट में आमंत्रित किया गया है लेकिन इस बार टोरंटो स्थित ‘सिख फेडरेशन’ और ‘वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन’ ने कहा है कि जब तक भारत, कनाडा में चल रही आपराधिक जांचों में सहयोग नहीं करता, तब तक मोदी को आमंत्रित न किया जाए।

सिख संगठनों ने आरोप लगाया है कि 2023 में वैंकूवर के पास सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की भूमिका हो सकती है। इसके अलावा कई अन्य हिंसक घटनाओं में भी भारत पर संलिप्तता के आरोप हैं। इसके बावजूद, कनाडा की लिबरल सरकार भारत से व्यापार बढ़ाने और संबंध सुधारने में लगी है जो सिख समुदाय को अस्वीकार्य लगता है।

  • इन देशों को बुलाया गया G7 सम्मेलन में

फ्रांस
यूनाइटेड किंगडम
जर्मनी
इटली
जापान
अमेरिका

  • यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष

G7 से बाहर के अतिथि देशों में अब तक ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बेनीज़ को आमंत्रित किया गया है औरउन्होंने पुष्टि की है कि वे आएंगे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को भी बुलाया गया है लेकिन उन्होंने पुष्टि नहीं की। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की वे आ रहे हैं।लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को बुलाया जाएगा या नहीं, इस पर कनाडा की सरकार चुप्पी साधे हुए है।

  • भारत-कनाडा संबंधों की स्थिति

2023 में निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के संबंधों में भारी तनाव आ गया था।हाल ही में दोनों पक्षों ने व्यापार और आपसी सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए हैं।

25 मई को कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने भारत के विदेश मंत्री से”सार्थक बातचीत” की थी और दोनों ने आर्थिक सहयोग को बढ़ाने की बात कही थी।यह मामला सिर्फ एक आमंत्रण का नहीं, बल्कि मानवाधिकार, आपराधिक न्याय, और प्रवासी समुदाय की आवाज़ का भी है।

सिख संगठन चाहते हैं कि कनाडा, मानवाधिकारों को प्राथमिकता दे और भारत से ठोस सहयोग की मांग करे।अगर आप चाहें तो मैं इसका एक विश्लेषणात्मक संपादकीय या स्ट्रॉन्ग ओपिनियन लेख भी तैयार कर सकता हूँ।

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