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हिन्दी दिवस पर अमित शाह बोले – ‘हिन्दी देश की अन्य सभी भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि मित्र है’

हिन्दी दिवस पर अमित शाह बोले – ‘हिन्दी देश की अन्य सभी भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि मित्र है’

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सूरत, 14 सितम्बर। अपने गृह राज्य के दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हिन्दी, देश की अन्य सभी क्षेत्रीय भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि उनकी मित्र है और सभी भाषाएं अपने विकास के लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं। शाह बुधवार को यहां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

हिन्दी का शब्दकोश बढ़ाने और इसे लचीला बनाने की जरूरत

अमित शाह ने हिन्दी को क्षेत्रीय भाषाओं के मुकाबले खड़ा करने के ‘दुष्प्रचार’ की निंदा की और हिन्दी के साथ स्थानीय भाषाओं को भी मजबूती प्रदान करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं के सह-अस्तित्व को स्वीकार करने की जरूरत है। उन्होंने अन्य भाषाओं से शब्द लेकर हिन्दी का शब्दकोश बढ़ाने और इसे लचीला बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि जब तक हिन्दी भाषा लचीली नहीं होती, यह तरक्की नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘मैं एक चीज स्पष्ट करना चाहता हूं। कुछ लोग यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि हिन्दी और गुजराती, हिन्दी और तमिल, हिन्दी और मराठी प्रतिद्वंद्वी हैं। हिन्दी देश में किसी भी अन्य भाषा की प्रतिद्वंद्वी नहीं हो सकती। आपको यह समझना होगा कि हिन्दी देश की सभी भाषाओं की मित्र है।’

भाषाओं का सह-अस्तित्व स्वीकार करें, तभी देश को अपनी भाषा में चला सकेंगे

उन्होंने कहा कि देश की क्षेत्रीय भाषाएं तभी समृद्ध हो सकती हैं, जब हिन्दी समृद्ध होगी और क्षेत्रीय भाषाओं के विकास से हिन्दी भी समृद्ध होगी। सभी को यह स्वीकार करना और समझना होगा। जब तक हम भाषाओं के सह-अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते, तब तक हम देश को अपनी भाषा में चलाने के सपने को साकार नहीं कर सकते।’

क्षेत्रीय भाषाओं के विकास से ही हिन्दी समृद्ध होगी

अमित शाह ने कहा, ‘मैं यह पूरी गंभीरता से कहना चाहता हूं कि सभी भाषाओं और मातृभाषाओं को जीवित रखना तथा उन्हें समृद्ध करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। इन सभी भाषाओं के समृद्ध होने से ही हिन्दी समृद्ध होगी।’ उन्होंने कहा कि हिन्दी एक समावेशी भाषा है और इसके साथ क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूती प्रदान करना जरूरी है।

शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने अनेक भारतीय भाषाओं की साहित्यिक कृतियों को प्रतिबंधित किया था, जिनमें हिन्दी में 264 कविताएं, उर्दू में 58 कविताएं, तमिल में 19, तेलुगु में 10, पंजाबी और गुजराती में 22-22, मराठी में 123, सिंधी में नौ, ओडिया में 11, बांग्ला में 24 और कन्नड में एक कविता हैं। उन्होंने कहा, ‘यह दिखाता है कि किस तरह राजभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं ने स्वतंत्रता संघर्ष को मजबूत किया, जिसकी वजह से अंग्रेजों को उन पर पाबंदी लगानी पड़ी।’

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘हमें स्थानीय भाषाओं से उभरने वाली स्वदेशी सोच के साथ नीतियां बनानी होंगी, न कि विदेशी भाषाओं से उपजी सोच के साथ।’ उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा का शब्दकोश बहुत बड़ा और विस्तृत होना चाहिए ताकि इसकी स्वीकार्यता देश और विदेश में बढ़े।

‘क्षेत्रीय भाषाएं और हिन्दी हमारे सांस्कृतिक प्रवाह की जीवनशक्ति हैं

गृह मंत्री ने शब्दकोश ‘हिन्दी शब्द सिंधु’ के पहले संस्करण का उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘कोई भाषा दूसरी भाषाओं के शब्दों को अपनाकर छोटी नहीं होती, बल्कि इसका आयाम बढ़ता है। हमें हिन्दी को लचीली बनाना होगा। क्षेत्रीय भाषाएं और हिन्दी हमारे सांस्कृतिक प्रवाह की जीवनशक्ति हैं। उन्होंने अपने निजी अनुभव के हवाले से कहा कि अपनी मातृभाषाओं में पढ़ने वाले बच्चे हिन्दी आसानी से सीख जाते हैं।’

न्यायपालिका में भी क्षेत्रीय भाषाओं में कामकाज किए जाने की दिशा में बढ़ना चाहिए

गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति कक्षा पांच तक क्षेत्रीय भाषाओं में स्कूली शिक्षा देने की बात करती है, जिसे कम से कम आठवीं कक्षा तक जारी रखा जाए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा ने चिकित्सा शिक्षा के पहले सेमेस्टर का हिन्दी में अनुवाद किया है, जिसे अगले वर्ष से पढ़ाया जाएगा। शाह ने कहा कि वह चाहते हैं कि न्यायपालिका में भी क्षेत्रीय भाषाओं में कामकाज किए जाने की दिशा में बढ़ना चाहिए।

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