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महायुति में दरार के बीच डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे बोले – ‘मुझे हल्के में मत लो, मैंने सरकार बदल दी है?’

महायुति में दरार के बीच डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे बोले – ‘मुझे हल्के में मत लो, मैंने सरकार बदल दी है?’

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नागपुर, 21 फरवरी। महाराष्ट्र की महायुति सरकार में पिछले कुछ समय से चल रही अनबन की अफवाहों के बीच उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें हल्के में न लिया जाए क्योंकि वह पहले एक सरकार बदल चुके हैं।

दरअसल, भाजपा के नेतृत्व वाले तीन दलों के गठबंधन महायुति ने तीन माह पहले महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में 230 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। लेकिन उसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे के बीच कई मुद्दों पर मतभेद बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनमें संरक्षक मंत्री की नियुक्ति से लेकर अलग-अलग समीक्षा बैठकें करना शामिल है।

दिसम्बर, 2024 में सरकार गठन के बाद से ही शिंदे कई मुद्दों पर असंतुष्ट

सीएम फडणवीस द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठकों में शिंदे की अनुपस्थिति ने महायुति गठबंधन के भीतर दरार की अटकलों को हवा दे दी है। कुल मिलाकर देखें तो दिसम्बर, 2024 में सरकार के गठन के बाद से शिंदे कई मुद्दों पर असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। इसमें भाजपा द्वारा गृह विभाग का पोर्टफोलियो भी नहीं दिया जाना शामिल है। अधिक असंतोष तब पैदा हुआ, जब उनके विधायकों भरत गोगावले और दादा भुसे को रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षक के रूप में नियुक्त नहीं किया गया।

जब हल्के में लिया तो 2022 में मैंने सरकार को बदल दिया

अब शिंदे का यह बयान महाराष्ट्र सरकार में संरक्षक मंत्री पद को लेकर कथित ‘शीत युद्ध’ के बीच आया है। उन्होंने कहा, ‘जो लोग मुझे हल्के में लेते हैं, मैं उनसे यह बात पहले ही कह चुका हूं। मैं एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता हूं, लेकिन मैं बाला साहेब का कार्यकर्ता हूं और यह बात हर किसी को समझनी चाहिए। और इसलिए जब हल्के में लिया तो 2022 में मैंने सरकार को बदल दिया।‘

उन्होंने कहा, ‘हम आम लोगों की इच्छाओं की सरकार लेकर आए। विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने कहा था कि देवेंद्र जी को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी और हमें 232 सीटें मिलीं। इसलिए मुझे हल्के में न लें, जो लोग इस संकेत को समझना चाहते हैं, वे इसे समझें और मैं अपना काम करता रहूंगा।’ उल्लेखनीय है कि शिंदे ने 2022 में भाजपा से हाथ मिलाने के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के खिलाफ विद्रोह किया था, जिससे अंततः सेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार गिर गई।

हालांकि फडणवीस व शिंदे के बीच मतभेद की अटकलों पर विराम लगाने के लिए कोई भी स्पष्टीकरण या दावा नाकाफी साबित हो रहा है। पिछले नवम्बर में नतीजों के बाद भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया था, जिसके बाद शिवसेना प्रमुख शिंदे को उप मुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा था।

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