अमेरिका का अत्याधुनिक विमान F-35 दुर्घटना के बाद, सैन्य अधिकारियों ने विमान की खोज के लिए जनता से मांगी मदद
वॉशिंगटन, 18 सितम्बर। यूएस मरीन कॉर्प्स का अत्याधुनिक लडाकू विमान F-35 लाइटनिंग II जेट रविवार को एक दुर्घटना का शिकार होने के बाद गायब है। इस घटना से पूरे देश में खलबली है। राहत की बात यह रही कि पायलट ने विमान से पैराशूट की मदद से इजेक्ट कर लिया था। अब अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने करोड़ों डॉलर के लापता विमान का पता लगाने में मदद करने की जनता से अपील की है
पायलट ने विमान से पैराशूट की मदद से खुद को बचाया
सैन्य अधिकारियों के अनुसार रविवार दोपहर उत्तरी चार्ल्सटन के ऊपर F-35 लाइटनिंग II जेट दुर्घटना का शिकार हो गया। मरीन कॉर्प्स पायलट विमान से बाहर निकलने में कामयाब रहा। बेस अधिकारियों ने कहा कि वे चार्ल्सटन शहर के उत्तर में दो झीलों के आसपास, संघीय विमानन नियामकों के समन्वय से खोज कर रहे हैं,लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली है। अब प्रमुख ज्वाइंट बेस चार्ल्सटन ने स्थानीय निवासियों से मदद मांगी है।
ज्वाइंट बेस चार्ल्सटन के आधिकारिक एक्स अकाउंट से अपील की गई, ‘यदि आपके पास कोई जानकारी है, जो हमारी खोज में लगी टीमों को F-35 का पता लगाने में मदद कर सकती है तो कृपया बेस डिफेंस ऑपरेशंस सेंटर को कॉल करें।’
We’re working with @MCASBeaufortSC to locate an F-35 that was involved in a mishap this afternoon. The pilot ejected safely. If you have any information that may help our recovery teams locate the F-35, please call the Base Defense Operations Center at 843-963-3600.
— Joint Base Charleston (@TeamCharleston) September 17, 2023
F-35 लाइटनिंग II जेट की खासियत
गौरतलब है कि F-35 लाइटनिंग II जेट अमेरिका का सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है। लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित प्रत्येक विमान की कीमत लगभग 80 मिलियन डॉलर है। F-35 एक स्टिल्थ फाइटर जेट है, जो दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम है। एक बार में यह अधिकतम 2800 किमी तक जा सकता है और इसकी स्पीड की बात करें तो ये करीब 1.6 मैक की है।
अमेरिका इस विमान की तकनीक को लेकर काफी गंभीर है। वह कभी नहीं चाहेगा कि F-35 का मलबा किसी गलत हाथ में जाए। खासकर चीन या रूस के हाथ में। पिछले साल दक्षिण चीन सागर में अमेरिका का मोस्ट एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके मलबे को पाने के लिए अमेरिका ने पूरी ताकत लगा दी थी। अमेरिका नहीं चाहता कि इसके मलबे के जरिए चीन या रूस उसकी अति उन्नत तकनीक का पता लगा सकें।