श्री काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा
प्रयागराज, 8 दिसम्बर। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर वाराणसी की अदालत में दायर वाद की पोषणीयता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी थी। इस वाद में उस स्थान पर प्राचीन मंदिर बहाल करने की मांग की गई है, जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है। वाद में दलील दी गई है कि वह मस्जिद, उस मंदिर का हिस्सा है।
इससे पूर्व, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने 28 अगस्त, 2023 को इस मामले को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया से अपने पास यह कहते हुए मंगा लिया था कि रोस्टर के मुताबिक, इस मामले पर सुनवाई उनके (प्रकाश पाडिया के) न्यायिक क्षेत्र में नहीं था, उन्होंने दो वर्षों से अधिक समय तक इस पर सुनवाई की थी।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि एकल न्यायाधीश से इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश की अदालत में भेजने का निर्णय न्यायिक संपत्ति, न्यायिक अनुशासन और पारदर्शिता के हित में प्रशासनिक स्तर पर लिया गया था। मुख्य न्यायाधीश दिवाकर पिछले माह 22 नवम्बर को सेवानिवृत्त हो गए थे। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद यह मामला न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के वकील एसएफए नकवी के मुताबिक, इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का एक समग्र सर्वेक्षण करने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिए गए निर्देश को भी चुनौती दी गई है। यह निर्देश वाराणसी की एक अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को दिया था।