उत्तर प्रदेश : हाई कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई के सर्वेक्षण लगाई रोक
प्रयागराज, 9 सितम्बर। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर – ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने के वाराणसी सिविल कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
वाराणसी की अदालत ने सर्वेक्षण का दिया था आदेश
वाराणसी की अदालत ने गत आठ अप्रैल के अपने आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को काशी विश्वनाथ मंदिर – ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एक समग्र भौतिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मस्जिद का निर्माण कराने के लिए एक मंदिर को ध्वस्त किया गया था।
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अन्य ने आदेश को दी थी चुनौती
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने वाराणसी की अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी थी। मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अदालत के फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि इस संबंध में एक मामला पहले ही हाई कोर्ट में है। ऐसे में वाराणसी की अदालत ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती, लिहाजा इस आदेश को रद किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने 31 अगस्त को फैसला सुरक्षित कर लिया था
हाई कोर्ट ने इस मामले में बहस के बाद गत 31 अगस्त को फैसला सुरक्षित कर लिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता की दलील थी कि जिस याचिका पर वाराणसी की अदालत ने आदेश पारित किया है, वह पूजास्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 4 के तहत स्वयं में विचारणीय नहीं है क्योंकि यह धारा 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी पूजास्थल की धार्मिक प्रकृति के परिवर्तन के संबंध में मुकदमा दायर करने या किसी अन्य कानूनी कार्यवाही से रोकती है।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि 1991 के कानून के मुताबिक, 15 अगस्त, 1947 को मौजूद एक धार्मिक स्थल के संबंध में कोई दावा नहीं किया जा सकता और न ही किसी धार्मिक स्थल की स्थिति में परिवर्तन के लिए राहत मांगी जा सकती है।
मंदिर के पक्षकारों का तर्क – मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद
दूसरी तरफ मंदिर पक्षकारों का कहना था कि 1664 में मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर उसके अवशेषों पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया था, जिसकी वास्तविकता जानने के लिए मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराना जरूरी है। मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण से यह साफ हो सकेगा कि मस्जिद जिस जगह तामीर हुई है, वह जमीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई है या नहीं।