गुजरात : नरोदा नरसंहार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत सभी आरोपित बरी, 21 वर्ष पहले मारे गए थे 11 मुसलमान
अहमदाबाद, 20 अप्रैल। विशेष अदालत ने 21 वर्ष पहले हुए नरोदा नरसंहार केस में गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। विशेष अदालत के जज एसके बक्शी ने गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री व भाजपा नेता माया कोडनानी सहित सभी आरोपितों को बरी कर दिया । 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान नरोदा गांव में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी।
नरोदा केस में तत्कालीन गुजरात विधानसभा की पहली महिला विधायक माया कोडनानी, जो उस समय महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं, और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत कुल 86 आरोपित बनाए गए थे। हालांकि, 18 आरोपितों की सुनवाई पूरी होने से पहले मौत हो चुकी थी।
गोधरा कांड के एक दिन बाद हुई थी नरोदा की घटना
उल्लेखनीय है कि 2002 में गोधरा में ट्रेन में आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात में कई जगह सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। उसी कड़ी में 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गांव में भी दंगा हुआ। यहां कम से कम 11 लोग मारे गए थे।
विशेष अभियोजक सुरेश शाह ने कहा कि अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान क्रमशः 187 और 57 गवाहों की जांच की और लगभग 13 साल तक चले मुकदमे में छह न्यायाधीशों ने लगातार मामले की अध्यक्षता की।
अमित शाह भी कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे
सितम्बर 2017 में, भाजपा के वरिष्ठ नेता (अब केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह कोर्ट में माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए। कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि वह गुजरात विधानसभा में और बाद में सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं, न कि नरोदा गाम में, जहां नरसंहार हुआ था।
नरोदा हिंसा को लेकर आरोपितों के खिलाफ खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चलाया गया। इन अपराधों के लिए अधिकतम सजा मौत है।