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संभल हिंसा पर अखिलेश यादव का आरोप – जब एक बार मस्जिद का सर्वे हो चुका था तो दोबारा टीम क्यों भेजी?

संभल हिंसा पर अखिलेश यादव का आरोप – जब एक बार मस्जिद का सर्वे हो चुका था तो दोबारा टीम क्यों भेजी?

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लखनऊ, 24 नवम्बर। संभल में शाही जामा मस्जिद के दोबारा सर्वे के दौरान भड़की हिंसा पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य की भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने इस हिंसा को भाजपा द्वारा ‘रची गई’ करार दिया और कहा कि मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में हुई अनियमितताओं पर से ध्यान हटाने के लिए भाजपा द्वारा रची गई।

उल्लेखनीय है कि शनिवार को उत्तर प्रदेश उपचुनाव के नतीजे घोषित हुए, जिनमें समाजवादी पार्टी को सिर्फ दो सीट मिलीं, जबकि भाजपा और उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने कुल मिलाकर सात सीटों पर जीत दर्ज की।

अखिलेश ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में संभल हिंसा को लेकर पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि संभल में एक गंभीर घटना हुई। चुनाव के बारे में चर्चा को रोकने के लिए सुबह जान बूझकर एक सर्वेक्षण टीम भेजी गई थी। इसका उद्देश्य अराजकता पैदा करना था ताकि चुनावी मुद्दों पर कोई चर्चा न हो सके।

मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए अखिलेश ने कहा कि संभल में हुई हिंसा में कई लोग घायल हुए हैं और सवाल किया कि जब मस्जिद का सर्वेक्षण पहले ही हो चुका था तो फिर से नया सर्वेक्षण क्यों किया गया और वह भी सुबह-सुबह और बिना किसी तैयारी के?

सपा प्रमुख ने कहा, ‘मैं कानूनी या प्रक्रियात्मक पहलुओं में नहीं जाना चाहता, लेकिन दूसरे पक्ष की बात भी नहीं सुनी गई। यह जान बूझकर भावनाओं को भड़काने और चुनाव में धांधली पर चर्चा से बचने के लिए किया गया था।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘संभल में जो कुछ हुआ, वह चुनावी अनियमितताओं से ध्यान हटाने के लिए भाजपा, सरकार और प्रशासन द्वारा रचा गया था।’

भाजपा पर उपचुनाव के दौरान ‘इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैप्चरिंग’ का भी आरोप

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर उपचुनाव के दौरान ‘इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैप्चरिंग’ का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब भी निष्पक्ष जांच होगी और बूथ रिकॉर्डिंग और सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से सच्चाई सामने आएगी, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि मतदाताओं ने अपना वोट नहीं डाला और बूथ के अंदर कोई और मतदाता बन गया।

अखिलेश ने दावा किया कि मतदान के दिन पुलिस और प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के लगभग सभी बूथ एजेंट और कई समर्थकों को हटा दिया, जो वोट देना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘अगर मतदाताओं को वोट देने से रोका गया, तो वोट किसने डाला? अगर समाजवादी पार्टी के वोट उन बूथ तक नहीं पहुंचे और हमारे उम्मीदवार को समर्थन नहीं मिला, तो वहां किसने वोट दिया? यह एक गंभीर मुद्दा है।’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘इसके अलावा, दो तरह की पर्चियां थीं, एक लाल निशान वाली और दूसरी सामान्य पर्ची। हमने मतदान के दिन ही यह मुद्दा उठाया था, जिसमें कहा गया था कि प्रशासन ने ऐसी व्यवस्था की है, जिससे भेदभाव हो रहा है।’

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