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एम्स व डब्ल्यूएचओ के सर्वे में खुलासा – कोरोना की आशंकित तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा नहीं

एम्स व डब्ल्यूएचओ के सर्वे में खुलासा – कोरोना की आशंकित तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा नहीं

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नई दिल्ली, 18 जून। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक सर्वे का यह निष्कर्ष सामने आया है कि देश में आशंकित कोविड-19 की तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा असर नहीं दिखेगा। हालांकि अध्ययन के अंतरिम नतीजों में यह दावा भी किया गया है कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान में बच्चों में संक्रमण दर बहुत ज्यादा पाई गई है। बड़ों और बच्चों में संक्रमण दर लगभग बराबर रही है।

एम्स के एक सीरो सर्वे में पहली बार बच्चों को शामिल किया गया है। इस सर्वे के नतीजे दर्शा रहे हैं कि बच्चों में भी संक्रमण बहुत ज्यादा है और अगर तीसरी लहर आती है तो उन्हें ज्यादा खतरा नहीं होना चाहिए। यदि वायरस में बहुत ज्यादा म्यूटेशन होता है, तब न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़ों में भी उतना ही खतरा है।

  • 5 राज्यों के 4,509 लोगों के बीच किया गया सर्वे

एम्स के सर्वे में कुल 4,509 लोगों ने हिस्सा लिया था। इसमें पांच राज्यों के 3,809 वयस्क और दो से 17 वर्ष आयु वर्गे के 700 बच्चे शामिल थे। अध्ययन में बुजुर्गों की पॉजिटिविटी दर 63.5 प्रतिशत दर्ज की गई और बच्चों में यह 55.7 फीसदी थी। अध्ययन करने वाले एम्स की कम्युनिटी मेडिसिन के डॉक्टर पुनीत मिश्र ने कहा कि यह आंकड़ा बताता है कि जितना बड़ों में संक्रमण पाया गया, लगभग उतना ही बच्चों में भी पाया गया।

अध्ययन के लिए दिल्ली शहरी पुनर्वास कॉलोनी, दिल्ली ग्रामीण (दिल्ली-एनसीआर के तहत फरीदाबाद जिले के गांव), भुवनेश्वर ग्रामीण क्षेत्र, गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र और अगरतला ग्रामीण क्षेत्र से 15 मार्च से 15 जून के बीच आंकड़े जुटाए गए। ये नतीजे बहु-केंद्रित, आबादी आधारित, उम्र आधारित सीरो मौजूदगी अध्ययन का हिस्सा हैं, जिसे एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और डिपार्टमेंट फॉर सेंटर ऑफ मेडिसीन के प्रोफेसर पुनीत मिश्र, शशि कांत और संजय के. राय सहित अन्य विशेषज्ञों द्वारा डब्ल्यूएचओ यूनिटी अध्ययनों के तहत किया जा रहा है।

  • शहरों में सीरो पॉजिटिविटी कम

अध्ययन के नतीजे के अनुसार शहरी स्थानों (दिल्ली में) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में सीरो पॉजिटिविटी दर कम पाई गई। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों में वयस्कों की तुलना में अपेक्षाकृत कम सीरो पॉजिटिविटी पाई गई।

  • गोरखपुर में सबसे सीरो सर्विलांस दर सबसे अधिक

डॉक्टर पुनीत ने कहा कि गोरखपुर में सीरो सर्विलांस दर बहुत ऊंची 87.9 फीसदी पाई गई है। दो से 18 साल के बीच में यह पॉजिटिव दर 80.6 फीसदी और 18 वर्ष से ऊपर यह 90.3 फीसदी पाई गई। उन्होंने कहा कि इतने सीरो पॉजिटिव पाए जाने के बाद तीसरी लहर आने की आशंका बहुत कम है।

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