मणिपुर में आंदोलन तेज : इंटरनेट सेवाएं बंद, स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी, केंद्र ने भेजे CRPF के और 2000 जवान
इम्फाल, 10 सितम्बर। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में छात्रों के तेज होते ते आंदोलन के बीच राज्य सरकार ने मंगलवार को पूरे राज्य में पांच दिनों के लिए इंटरनेट सर्विस निलंबित कर दी हैं। इसके साथ ही सभी सरकारी और निजी कॉलेज 11 और 12 सितम्बर को बंद ऱखने का आदेश जारी किया गया है।
5 दिनों तक स्थगित रहेंगी इंटरनेट सेवाएं
राज्य के गृह विभाग ने एक अधिसूचना में कहा कि तस्वीरों, नफरत भरे भाषण और नफरत भरे वीडियो के प्रसारण के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। अधिसूचना में कहा गया, ‘मणिपुर राज्य के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में 10 सितम्बर को दोपहर तीन बजे से 15 सितम्बर को दोपहर तीन बजे तक पांच दिनों के लिए लीज लाइन, वीसैट, ब्रॉडबैंड और VPN सर्विस सहित इंटरनेट और मोबाइल डेटा सर्विस को अस्थायी रूप से सस्पेंड/रोकने का आदेश दिया गया है।’
सुरक्षा बलों ने उग्र छात्र व महिला प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे क्योंकि छात्र और महिला प्रदर्शनकारी उनसे भिड़ गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस महानिदेशक (DGP) और मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग को लेकर राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश की।
सीआरपीएफ की दो नई बटालियन की तैनाती का निर्देश
इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी दी कि केंद्र ने जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा ड्यूटी के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दो नई बटालियन की तैनाती का निर्देश दिया है, जिनमें करीब 2,000 जवान होंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार बटालियन संख्या-58 को वारंगल (तेलंगाना) से जबकि बटालियन संख्या-112 को लातेहार (झारखंड) से भेजा जा रहा है।
इनमें एक बटालियन को मणिपुर के कांगवई (चुराचांदपुर) जबकि दूसरी बटालियन को इम्फाल के आसपास तैनात किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि यह कदम जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कुछ दूसरे हिस्सों में तैनाती के लिए मणिपुर से असम राइफल्स की दो बटालियन को वापस बुलाए जाने के बाद उठाया गया है।
मणिपुर हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा की जा चुकी है जान
गृह मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि इन दो नई बटालिन की सभी कम्पनियां (लगभग 6-6) हिंसा प्रभावित राज्य के अलग-अलग हिस्सों में तैनात रहेंगी, जहां पिछले वर्ष मई से जातीय संघर्ष जारी है और इसके चलते अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।