
नई दिल्ली, 15 अप्रैल। वक्फ संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद मोदी सरकार की नजर अब समान नागरिक संहिता (UCC) पर है और अब यह सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है।
उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाले देश का इकलौता राज्य
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में सभी नागरिकों को एक समान अधिकार प्रदान करने के लिए यूसीसी लागू कर दी गई है। यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। वहीं गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने राज्य में यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करने और विधेयक तैयार करने के लिए उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है।
पीएम मोदी ने UCC लागू करने के लिए उत्तराखंड को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उत्तराखंड को समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बधाई दी और कहा कि यह कानून भी खेल भावना की तरह है, जहां किसी से कोई भेदभाव नहीं है और सब बराबर हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कल ही उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बना है, जिसने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू की है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं उत्तराखंड की भाजपा सरकार को इस ऐतिहासिक कदम के लिए बधाई देता हूं।” प्रधानमंत्री ने यूसीसी को ‘सेक्यूलर सिविल कोड’ की भी संज्ञा दी और कहा, ‘यह कानून हमारी बेटियों, माताओं, बहनों के गरिमापूर्ण जीवन का आधार बनेगी। संविधान की भावना भी मजबूत होगी।”
यूसीसी की भावना – ‘किसी से भेदभाव नहीं, हर कोई बराबर’
उन्होंने कहा कि वह आज खेल के आयोजन में हैं तो यूसीसी को भी उससे जोड़कर देख रहे हैं। मोदी ने कहा, ‘हर जीत, हर मेडल के पीछे मंत्र होता है सबका प्रयास। खेलों से हमें टीम भावना के साथ खेलने की प्रेरणा मिलती है। यही भावना यूसीसी की भी है — किसी से भेदभाव नहीं, हर कोई बराबर।’
भाजपा ने सोमवार को संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य, वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू करने से इनकार नहीं कर सकते। पार्टी ने इस कानून का लगातार विरोध करने के लिए कांग्रेस और इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) के अन्य घटकों की आलोचना की।
भाजपा का यह बयान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक और झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि उनके लिए शरिया पहले है और उसके बाद संविधान, जबकि कर्नाटक के मंत्री बी.जेड. जमीर अहमद खान ने दावा किया था कि राज्य में यह कानून लागू नहीं किया जाएगा।
बीते शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि यह अधिनियम पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस मुद्दे पर उनके रुख को ‘गंभीर चिंता का विषय’ बताया और कहा कि उन्होंने अपनी टिप्पणी से यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी पार्टियां सत्ता में बनी रहीं, तो संविधान खतरे में पड़ जाएगा।