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सर्वदलीय बैठक के बाद पोले किरेन रिजिजू – ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम मुद्दों पर पर चर्चा के लिए सरकार तैयार

सर्वदलीय बैठक के बाद पोले किरेन रिजिजू – ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम मुद्दों पर पर चर्चा के लिए सरकार तैयार

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नई दिल्ली, 20 जुलाई। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि सोमवार से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार ऑपरेशन सिंदूर व पहलगाम आतंकी हमला जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार किसी भी मुद्दे से पीछे नहीं हटेगी और संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

ट्रंप के दावे पर सरकार संसद में ही जवाब देगी

मानसून सत्र से एक दिन पहले केंद्र सरकार की ओर से आहूत सर्वदलीय बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में रिजिजू से जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर दावे को लेकर विपक्ष के रुख पर सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि सरकार संसद में ही इस पर जवाब देगी, बाहर नहीं।

रिजिजू ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में हमेशा मौजूद रहते हैं, जब भी कोई बड़ा मुद्दा उठता है। रिजिजू के अनुसार सरकार मानसून सत्र में 17 विधेयक (बिल) पेश करने की योजना बना रही है और बहस के दौरान सभी सवालों के जवाब दिए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘हम खुले दिल से चर्चा के लिए तैयार हैं। हम संसदीय नियमों और परंपराओं का सम्मान करते हैं।’

सर्वदलीय बैठक में 51 दल हुए शामिल

केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में 51 दलों के 54 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें सभी दलों – एनडीए, यूपीए (इंडिया ब्लॉक) और निर्दलीय सांसदों – ने अपने मुद्दे रखे और बहस की मांग की। रिजिजू ने कहा, ‘हम अलग-अलग विचारधाराओं से हो सकते हैं, लेकिन संसद को ठीक से चलाना सरकार और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है।’

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सांसदों द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की मांग की गई है। 100 से अधिक सांसदों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। सरकार इस मानसून सत्र में ही प्रस्ताव लाएगी, लेकिन इसके पेश किए जाने की तारीख अभी तय नहीं की गई है। उन्होंने कहा, ‘महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा। टाइमलाइन बाद में बताई जाएगी।’

छोटे दलों को बोलने का पर्याप्त समय नहीं मिलता

रिजिजू ने यह भी माना कि जिन दलों के सांसद कम संख्या में हैं, उन्हें अक्सर संसद में बोलने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि सरकार इस विषय को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के समक्ष उठाएगी और इसे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में शामिल किया जाएगा ताकि सभी को समान अवसर मिल सके।

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