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मीठी नदी घोटाला : अभिनेता डिनो मोरिया ईडी के समक्ष पेश, जानिए क्या है पूरा मामला

मीठी नदी घोटाला : अभिनेता डिनो मोरिया ईडी के समक्ष पेश, जानिए क्या है पूरा मामला

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मुंबई, 19 जून। फिल्म अभिनेता डिनो मोरिया मीठी नदी से गाद निकालने से जुड़े 65 करोड़ रुपये के कथित घोटाले से संबंधित धन शोधन जांच के सिलसिले में अपना बयान दर्ज कराने के लिए गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश हुए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

एक अधिकारी ने बताया कि संघीय एजेंसी द्वारा तलब किए जाने के बाद मोरिया पूर्वाह्न करीब 10.30 बजे दक्षिण मुंबई के बैलार्ड एस्टेट स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे। अधिकारी ने बताया कि अभिनेता का बयान दर्ज किया जाएगा क्योंकि कुछ वित्तीय लेनदेन कथित तौर पर उनके और कुछ आरोपितों से जुड़े पाए गए हैं।

इन आरोपितों को मीठी नदी से गाद निकालने से जुड़े घोटाले के सिलसिले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी के कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौजूद थे। इससे पहले 12 जून को ईडी अधिकारियों ने मोरिया से कई घंटे तक पूछताछ की थी।

आधिकारिक सूत्रों ने पहले बताया था कि ईडी ने 6 जून को मुंबई और केरल के कोच्चि में 15 से अधिक स्थानों पर तलाशी ली थी, जिनमें यहां बांद्रा (पश्चिम) इलाके में डिनो मोरिया के परिसर, उनके भाई सैंटिनो से जुड़े ठिकाने, बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के कुछ अधिकारियों और ठेकेदारों के परिसर शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि कोच्चि में तलाशी ली गई क्योंकि बीएमसी को गाद निकालने के उपकरण उपलब्ध कराने वाली एक कंपनी मैटप्रॉप टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय इसी शहर में स्थित है। सूत्रों ने कहा था कि जांच धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की जा रही है।

ईडी का मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा मई में दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है। इस प्राथमिकी में ठेकेदारों और निगम अधिकारियों सहित 13 लोगों के खिलाफ मीठी नदी की गाद निकालने के लिए 2017-2023 तक दिए गए ठेकों में 65.54 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के लिए मामला दर्ज किया गया था।

मीठी नदी मुंबई से होकर बहती है और महानगर के लिए बरसात में जल निकास का काम करती है। बीएमसी पर 1997 से 2022 तक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना का नियंत्रण था। 2022 में निगम परिषद के भंग होने के बाद, बीएमसी पर राज्य सरकार का नियंत्रण था, जिसका नेतृत्व उस समय एकनाथ शिंदे कर रहे थे।

पुलिस ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि बीएमसी अधिकारियों ने गाद निकालने के ठेके के लिए निविदा को इस तरह से तैयार किया कि इससे मशीनरी के एक विशेष आपूर्तिकर्ता को लाभ हुआ और ठेकेदारों ने कथित तौर पर मुंबई से गाद को बाहर ले जाने के लिए फर्जी बिल बनाए।

मोरिया (49) और उनके भाई से पिछले महीने भी इस मामले में मुंबई पुलिस की ईओडब्ल्यू ने पूछताछ की थी। समझा जाता है कि मोरिया बंधुओं से पुलिस ने कथित बिचौलिए केतन कदम के साथ उनके कथित संबंधों के बारे में पूछताछ की, जिसे मामले में एक अन्य आरोपी जय जोशी के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा सैंटिनो से जुड़ी एक कम्पनी में किए गए कुछ वित्तीय लेन-देन के बारे में भी पूछताछ की गई थी।

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