हिमाचल प्रदेश में हादसा : किन्नौर में भूस्खलन के बाद मलबे में दबी बस-कारें, एक की मौत, 50-60 लोग फंसे
शिमला, 11 अगस्त। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में बुधवार दोपहर को बड़ा हादसा हुआ, जब भूस्खलन होने के कारण यात्रियों से भरी बस मलबे में दब गई। बस के अलावा दो कारें भी मलबे में दब गईं। हिमाचल सरकार की ओर से इस हादसे में अब तक एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है जबकि छह लोग घायल हुए है। 50-60 लोगों के दबे होने की आशंका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश के रिकांगपिओ से उत्तराखंड के हरिद्वार जा रही एचआरटीसी की बस किन्नौर जिले के पास निगुलसेरी में नेशनल हाईवे पर पहाड़ से मलबा गिरने के कारण हादसे का शिकार हुई।
9 लोगों को रेस्क्यू कर अस्पताल ले जाया गया : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि मिली जानकारी के अनुसार 50-60 लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं। नौ लोगों को रेस्क्यू कर अस्पताल ले जाया गया है। मौके पर एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, पुलिस की टीमें मौजूद हैं। बचाव अभियान के प्रयास जारी हैं, लेकिन मलबा रुक-रुक कर ऊंचाई से गिर रहा है। उन्होंने बताया कि मलबे में दबे लोगों को सुरक्षित निकालने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। प्रभावितों को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी।
पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह ने सीएम को फोन कर जानकारी ली
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से फोन पर बात की और वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ली। पीएम मोदी की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया गया है। शाह ने भी ठाकुर से कहा कि राज्य उन्हें तुरंत किसी भी मदद की जरूरत बता सकता है। गृह मंत्री ने फंसे हुए लोगों को निकालने और स्थिति का जायजा लेने के लिए आईटीबीपी के महानिदेशक से भी बात की।
बचाव कार्य में स्थानीय लोगों की भी ली जा रही मदद
फिलहाल एनडीआरएफ, सेना, पुलिस और स्थानीय लोग घायलों को अस्पताल पहुंचाने में जुटे हुए हैं। डीसी किन्नौर, आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि पहाड़ी से लगातार चट्टानें गिर रही हैं। इस वजह से रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है।
गत 25 जुलाई को भी हुआ था दर्दनाक हादसा
गौरतलब है कि गत 25 जुलाई को किन्नौर जिले के ही बटसेरी में सांगला-छितकुल मार्ग पर पहाड़ी से दरकी चट्टानों की चपेट में एक पर्यटक वाहन आ गया था। हादसे में टेंपो ट्रैवलर में सवार नौ पर्यटकों की मौत हो गई थी। हादसा इतना भयानक था कि वाहन को चट्टानों ने हवा में ही उड़ा दिया था और 600 मीटर नीचे बास्पा नदी के किनारे दूसरी सड़क पर जा गिरा था।