AAP सांसद राघव चड्ढा ने दिल्ली सेवा विधेयक को बताया ‘राजनीतिक धोखाधड़ी’ और ‘संवैधानिक पाप’
नई दिल्ली, 7 अगस्त। आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने सोमवार को राज्यसभा में विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 का कड़ा विरोध किया। उच्च सदन में जोरदार बहस के दौरान चड्ढा ने कहा कि दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर अध्यादेश को बदलने का विधेयक एक राजनीतिक धोखाधड़ी, संवैधानिक पाप है और एक प्रशासनिक गतिरोध पैदा करेगा।
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के अपने वादे से मुकर गई भाजपा
राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा लगभग 40 वर्षों से दिल्ली को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही थी और अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका वादा किया था। लेकिन अब भाजपा ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं की 40 साल की मेहनत को बर्बाद कर दिया है।
BJP ने Atal Bihari Vajpayee, Lal Krishan Advani जी की दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की 40 साल की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया है।
-AAP MP @raghav_chadha, Delhi को पूर्ण राज्य बनाने के लिए BJP को उनके महान नेताओं का संघर्ष याद दिलाते हुए pic.twitter.com/g96FRZUjlD
— AAP (@AamAadmiParty) August 7, 2023
पं. नेहरू के जिक्र को लेकर अमित शाह पर कसा तंज
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विधेयक का समर्थन करने के लिए पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का आह्वान करने पर कटाक्ष करते हुए चड्ढा ने कहा कि भाजपा नेता को ‘आडवाणीवादी’ बनना चाहिए, न कि ‘नेहरूवादी’।
कांग्रेस सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने कानून का विरोध करते हुए कहा कि यह एक प्रतिगामी विधेयक है, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है। उन्होंने यह भी कहा कि यह दिल्ली के लोगों पर सीधा हमला है और संघवाद का उल्लंघन है।
दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में हुआ पास
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 विपक्षी दलों के वाकआउट के बीच पिछले गुरुवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। बहस के दौरान अमित शाह ने विधेयक लाने के केंद्र सरकार के कदम के खिलाफ हाथ मिलाने के लिए विपक्षी दलों पर तीखा हमला किया और भविष्यवाणी की थी कि एक बार विधेयक पारित हो जाने के बाद विपक्षी गठबंधन टूट जाएगा।
उन्होंने कहा, “आज भारत विपक्ष के दोहरे चरित्र का गवाह बन रहा है। जनहित के बिल उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। ये सभी आज इसलिए इकट्ठा हुए हैं ताकि कोई छोटी पार्टी उनके गठबंधन से दूर न भाग जाए।”
शाह ने पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू, बाबासाहेब अंबेडकर और कांग्रेस नेताओं सरदार पटेल, सी राजगोपालचारी और राजेंद्र प्रसाद का भी जिक्र किया और तर्क दिया कि इन नेताओं ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के प्रस्ताव का विरोध किया था।