1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. संथाली भाषा में संविधान जारी होने पर बोले, पीएम मोदी- आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक पहल
संथाली भाषा में संविधान जारी होने पर बोले, पीएम मोदी- आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक पहल

संथाली भाषा में संविधान जारी होने पर बोले, पीएम मोदी- आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक पहल

0
Social Share

नई दिल्ली, 26 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संथाली भाषा में भारत के संविधान के जारी होने की तारीफ की। उन्होंने इसे एक सराहनीय प्रयास बताया, जिससे आदिवासी समुदायों के बीच संवैधानिक जागरूकता और लोकतांत्रिक भागीदारी मजबूत होगी।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह एक तारीफ के काबिल काम है। संस्कृत में सोवियत प्रिंट देखने से सोवियत अवेयरनेस और डेमोक्रेटिक सिटिजनशिप बढ़ती है। भारत को संस्कृत कल्चर और देश की तरक्की में संस्कृत के योगदान पर गर्व है।”

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में ओल चिकी लिपि में लिखे संथाली भाषा में भारत के संविधान को जारी करने के बाद आई है। गुरुवार को सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने इस अवसर को संथाली लोगों के लिए गर्व और खुशी का क्षण बताया और उम्मीद जताई कि यह पहल उन्हें अपनी भाषा में संविधान को पढ़ने और समझने में सक्षम बनाएगी।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष हम ओल चिकी लिपि की शताब्दी मना रहे हैं। उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्री और उनकी टीम की प्रशंसा की, जिन्होंने शताब्दी वर्ष में भारत के संविधान को ओल चिकी लिपि में प्रकाशित करवाया। उन्होंने दावा किया कि संथाली में संविधान की उपलब्धता दस्तावेज में निहित अधिकारों, कर्तव्यों और मूल्यों को अधिक सुलभ बनाकर आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाएगी।

बता दें कि संथाली भाषा को 92वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003 के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। यह भारत की सबसे प्राचीन जीवित भाषाओं में से एक है और झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में एक बड़ी आदिवासी आबादी द्वारा बोली जाती है।

क्षेत्रीय भाषा में बोलते हुए, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उन्हें संथाली भाषा में भारत का संविधान जारी करके बहुत खुशी हो रही है और उन्होंने इस प्रकाशन को पूरे संथाली समुदाय के लिए बहुत खुशी का स्रोत बताया। उन्होंने दोहराया कि स्वदेशी भाषाओं में संविधान उपलब्ध कराने से नागरिकों और देश के लोकतांत्रिक ढांचे के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलती है, जिससे व्यापक भागीदारी और समावेशिता सुनिश्चित होती है।

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code