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यूपी में 3000 वकीलों के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस, हाई कोर्ट ने मांगी राज्य के सभी अधिवक्ता संघों की जानकारी

यूपी में 3000 वकीलों के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस, हाई कोर्ट ने मांगी राज्य के सभी अधिवक्ता संघों की जानकारी

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प्रयागराज, 20 दिसम्बर। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेशभर के सभी जिलों के निबंधक, सोसाइटी को पत्र लिखकर राज्य में सक्रिय अधिवक्ता संगठनों की सूची तलब की है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि यूपी में अधिवक्ताओं के कुल कितने संघ सक्रिय हैं। ईटीवी भारत की रिपोर्ट के अनुसार हाई कोर्ट ने इसी क्रम में प्रदेश सरकार को भी उन वकीलों की थानेवार सूची देने का निर्देश दिया है, जिन पर आपराधिक मुकदमे लंबित हैं।

एक मामले की सुनवाई में पता चला कि वकील खुद ही कुख्यात अपराधी

गौरतलब है कि अधिवक्ता मोहम्मद कफील की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को पता चला कि याची स्वयं गैंगस्टर एक्ट सहित कई आपराधिक मामलों में शामिल है और उसके भाई कुख्यात अपराधी हैं। कोर्ट ने वकीलों के आपराधिक पृष्ठभूमि के न्याय प्रशासन पर प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के पदाधिकारी विशिष्ट संस्थागत स्थिति रखते हैं। वे कोर्ट के अधिकारी भी हैं और पेशेवर नैतिकता के संरक्षक भी।

अदालत ने जताई गंभीर चिंता

कोर्ट ने कहा कि जब गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति कानूनी प्रणाली में प्रभाव वाले पदों पर होते हैं तो यह वैध चिंता का विषय है कि वे पेशेवर वैधता की आड़ में पुलिस अधिकारियों और न्यायिक प्रक्रियाओं पर अनुचित प्रभाव डाल सकते हैं। कोर्ट ने सभी कमिश्नर, एसएसपी, एसपी और संयुक्त निदेशक अभियोजन को यूपी बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकीलों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का व्यापक विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने अगली सुनवाई से पहले थानेवार सूची प्रस्तुत करने को कहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने कोर्ट को बताया कि सूची लगभग तैयार है और जल्द ही कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया जाएगा। अब तक की जांच में लगभग तीन हजार वकीलों पर चल रहे मुकदमों की जानकारी है।

मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को

डीजीपी की ओर से दाखिल हलफनामे में वकीलों का आपराधिक इतिहास प्रस्तुत किया गया जबकि डीजी अभियोजन के हलफनामे में मुकदमों के ट्रायल की जानकारी दी गई। कोर्ट ने आठ जनवरी, 2026 तक सारी जानकारी देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई आठ जनवरी को होगी। कोर्ट के निर्देश पर यूपी बार काउंसिल ने भी अपना हलफनामा प्रस्तुत कर दागी वकीलों पर काररवाई का आश्वासन दिया है।

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