पाकिस्तान : अलग ‘सिंधुदेश’ की मांग को लेकर कराची में भड़की हिंसा
कराची, 9 दिसम्बर। पाकिस्तान के कराची में अलग सिंधुदेश की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के हिंसा में बदलने के बाद तनाव बढ़ गया। हिंसा की वजह से पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और पुलिस के साथ तीखी झड़प हुई।
सिंधी कल्चर डे पर सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
यह हिंसा रविवार को तब शुरू हुई, जब अलग सिंधुदेश की मांग को लेकर सिंधी कल्चर डे पर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। जिये सिंध मुत्तहिदा महाज (JSSM) के बैनर तले सिंधियों के एक बड़े ग्रुप ने ‘आजादी’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। उन्होंने सिंध की आजादी की मांग की, जिससे सिंधी राष्ट्रवादी पार्टियों की पुरानी भावना और बढ़ गई।
रैली का रूट बदलने के बाद तनाव बढ़ा
सिंध प्रांत सिंधु नदी के पास का इलाका है, जो 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चला गया। बताया जाता है कि सिंधुदेश आज के सिंध का पुराना नाम था, जो पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा प्रांत है। रविवार को अधिकारियों के रैली का रूट बदलने के बाद तनाव तेजी से बढ़ गया, जिससे हजारों प्रदर्शनकारी नाराज हो गए। हालात तब और बिगड़ गए, जब भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंकने के साथ तोड़फोड़ शुरू कर दी। पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
#BREAKING
Mass protests in Karachi demanding Sindhudesh.
The truth is simple: Sindh was never truly Pakistan.
It’s part of the same civilizational fold as Bharat ,history proves it every time.#FreeSindh #SindhudeshMovement pic.twitter.com/6IhwZMHSGT— TRIDENT (@TridentxIN) December 8, 2025
हिंसा के आरोप में कम से कम 45 लोग गिरफ्तार, 5 पुलिसकर्मी घायल
स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि हिंसा के सिलसिले में कम से कम 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दैनिक ‘डॉन’ के अनुसार, हिंसा में पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। सरकार ने पुलिस को संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ करने वालों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।
UN और पीएम मोदी से अपील
उल्लेखनीय है कि सिंधी संगठन लंबे समय से प्रांत में लगातार राजनीतिक दबाव और मानवाधिकारों के उल्लंघन का दावा करते रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष की शुरुआत में देश निकाला पाए चेयरपर्सन शफी बुरफत की लीडरशिप में JSSM ने यूनाइटेड नेशंस से दखल देने और सिंधुदेश को एक आजाद देश के तौर पर मान्यता देने की अपील की थी। JSSM ने सिंध और भारत के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपनी मांग का समर्थन करने की अपील की।
राजनाथ सिंह भी भरोसा जता चुके हैं – सिंध इलाका एक दिन भारत में वापस आएगा
भारत में भी, इस मुद्दे पर तब ध्यान गया, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भरोसा जताया कि सिंध इलाका एक दिन भारत में वापस आ जाएगा। पिछले माह नई दिल्ली में सिंधी समाज सम्मेलन में अने संबोधन के दौरान राजनाथ ने कहा था कि उनकी पीढ़ी के कई सिंधी हिन्दुओं ने 1947 के उस फैसले को कभी पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया, जिसके कारण सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया।
राजनाथ ने जो देकर कहा था, ‘सिंध हमेशा से सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़ा रहा है। आज, सिंध भारत का हिस्सा नहीं हो सकता है, लेकिन सभ्यता के हिसाब से, सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। जहां तक जमीन की बात है, सीमाएं बदल सकती हैं। कौन जानता है, कल सिंध फिर से भारत में वापस आ सकता है।’ असल में, राष्ट्रगान में सिंध नदी का जिक्र इसी कनेक्शन को दिखाता है।
