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अल फलाह यूनिवर्सिटी के 200 डॉक्टर और कर्मचारी जांच के घेरे में, आतंकियों से जुड़े होने का शक

अल फलाह यूनिवर्सिटी के 200 डॉक्टर और कर्मचारी जांच के घेरे में, आतंकियों से जुड़े होने का शक

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फरीदाबाद, 19 नवम्बर। दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास गत 10 नवम्बर को हुए ब्लास्ट के बाद निशाने पर आई फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। संस्थान के डॉक्टर मुजम्मिल शकील और डॉक्टर शाहीन की गिरफ्तारी के बाद अब अल फलाह यूनिवर्सिटी के 200 डॉक्टर और कर्मचारी सुरक्षा एजेंसियों के जांच के घेरे में आ गए हैं।

यूनिवर्सिटी के कई कर्मचारी छुट्टी लेकर घर लौट रहे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने बताया कि लाल किला ब्लास्ट के बाद अल फलाह विश्वविद्यालय के 200 से ज्यादा डॉक्टर और कर्मचारी जांच एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं। सुरक्षा एजेंसियां अल-फलाह विश्वविद्यालय में लगातार जांच कर रही हैं, जिससे विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों में चिंता बढ़ गई है। बुधवार को विश्वविद्यालय के कई कर्मचारी अपने सामान को गाड़ियों में भरकर गेट से बाहर निकलते देखे गए। विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार वे छुट्टी लेकर अपने घर लौट रहे हैं।

कई कर्मचारिओं ने अपने मोबाइल डेटा डिलीट किए

जांच ​​एजेंसियां दिल्ली ब्लास्ट के बाद विश्वविद्यालय छोड़ने वाले लोगों की संख्या का पता लगा रही हैं और उनकी पहचान करने की कोशिश कर रही है। सूत्रों ने बताया कि उन्हें शक है कि इनमें से कई लोग आतंकवादियों से जुड़े थे। सूत्रों का यह भी कहना है कि कई लोगों ने अपना मोबाइल डेटा डिलीट कर दिया है, जिसकी भी जांच की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि पुलिस छात्रावासों और विश्वविद्यालय परिसर के बाहर रहने वाले छात्रों के कमरों की तलाशी ले रही है और 1,000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है।

उमर को किराए पर कमरा देने वाली महिला हिरासत में

इस बीच जांच एजेंसियों ने 35 वर्षीय एक महिला को हिरासत में लिया है, जिसने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी को नूंह की हिदायत कॉलोनी में एक कमरा किराए पर दिया था। ये महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दिल्ली बम धमाकों के बाद से फरार थी। घटना के बाद से उसके परिवार की भी जांच चल रही है। सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसियों ने नूंह में सात लोगों से भी पूछताछ की ताकि उमर के उनसे संबंध का पता लगाया जा सके। आत्मघाती हमलावर ने नूंह के किराए के कमरे में रहने के दौरान कई मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था।

मरीजों की संख्या में आई कमी

गौर करने वाली बात यह है कि अल फलाह मेडिकल कॉलेज के आतंकवादी डॉ. उमर उन नबी से संबंध उजागर होने के बाद से इस अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि पहले, अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 200 मरीज आते थे, जो अब घटकर 100 से भी कम हो गए हैं।

2023 में 6 माह तक अस्पताल से गायब था उमर!

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जांच ​​एजेंसियां ये पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या विश्वविद्यालय के अंदर कोई हैंडलर था क्योंकि उमर को संस्थान में ‘विशेष सुविधा’ मिलती थी। विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद यहां अप्रेंटिसशिप कर रहे दो डॉक्टरों ने बताया कि उमर 2023 में बिना किसी छुट्टी और सूचना के लगभग छह माह तक अस्पताल और विश्वविद्यालय से अनुपस्थित रहा।

उमर हफ्ते में सिर्फ एक या दो लेक्चर ही लेता था

अस्पताल सूत्रों ने बताया कि इस घटना का अजीब पहलू यह है कि वापस आते ही वह सीधे ड्यूटी पर लग गया और उसके खिलाफ कोई काररवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि उमर बहुत कम कक्षाएं लेता था। वह हफ्ते में सिर्फ एक या दो लेक्चर ही लेता था और वो भी सिर्फ 15 से 20 मिनट का। फिर वह अपने कमरे में लौट जाता था। दूसरे लेक्चरर इसे पसंद नहीं करते थे क्योंकि वे पूरा समय पढ़ाते रहते थे। एक चौंकाने वाले खुलासे में डॉक्टरों ने कहा कि उमर को अस्पताल में हमेशा शाम या रात की शिफ्ट में काम दिया जाता था। उसे कभी सुबह की शिफ्ट में नहीं रखा गया।

अल फलाह यूनिवर्सिटी में संप्रति कई जांच दल काम कर रहे

ध्यान देने वाली बात यह है कि अल फलाह विश्वविद्यालय में वर्तमान में कई जांच दल काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अलावा, दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा, उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS), फरीदाबाद अपराध शाखा और जम्मू-कश्मीर पुलिस की इकाइयां लगातार विश्वविद्यालय का दौरा कर रही हैं। मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम भी विश्वविद्यालय पहुंची। इन सभी जांच टीमों ने विश्वविद्यालय के अंदर एक अस्थायी कमांड सेंटर स्थापित किया है।

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