राज्यों के धर्मांतरण रोधी कानूनों पर रोक लगाने की याचिकाओं की तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, कहा- यह संभव नहीं है
नई दिल्ली, 11 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत विभिन्न राज्यों में बनाए गए धर्मांतरण रोधी कानूनों पर रोक लगाने की याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं को दिसंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
एक याचिकाकर्ता के वकील ने कानूनों पर रोक से संबंधित अंतरिम याचिका अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। इस पर, प्रधान न्यायधीश ने कहा, “यह संभव नहीं है।” उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायधीश गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। पीठ ने 16 सितंबर को राज्यों से इन याचिकाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था। नोटिस जारी करते समय प्रधान न्यायधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि जब तक राज्य जवाब नहीं देते, तब तक अदालत कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने पर विचार नहीं करेगी।
पीठ ने तब राज्यों को उनके जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था और इसके बाद याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह में अपना उत्तर दाखिल करने की अनुमति दी थी। इस मामले को छह सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया गया था। पीठ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक द्वारा बनाए गए धर्मांतरण रोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
