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सोशल मीडिया पोस्ट हटाने के बारे में संशोधित नियम 15 नवंबर से होंगे लागू, सरकार ने जारी की अधिसूचना

सोशल मीडिया पोस्ट हटाने के बारे में संशोधित नियम 15 नवंबर से होंगे लागू, सरकार ने जारी की अधिसूचना

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर। सोशल मीडिया मंचों को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और सुरक्षित बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 3(1) (डी) में संशोधनों को अधिसूचित कर दिया है और संशोधित प्रावधान 15 नवंबर से लागू होंगे। नये संशोधित नियमों के तहत यह व्यवस्था भी है कि कोई भी सोशल मीडिया पोस्ट या सामग्री हटाने का निर्देश डिजिटल मंच को केवल संयुक्त सचिव या समकक्ष पद के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा ही दिया जा सकेगा।

मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, नियम 3(1)(डी) में संशोधन द्वारा अतिरिक्त सुरक्षा उपायों को प्रस्तुत किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिजिटल सोशल मीडिया मंचों द्वारा गैरकानूनी सामग्री को पारदर्शी, आनुपातिक और जवाबदेह तरीके से हटाया जाए। इन संशोधनों के मुख्य प्रावधानों के अनुसार, अब डिजिटल सोशल मीडिया नेटवर्कों या मंचों को गैरकानूनी सामग्री हटाने के लिए की निर्देश केवल संयुक्त सचिव या समकक्ष अधिकारी द्वारा ही जारी किया जा सकेगा। जहां ऐसे वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति नहीं है, वहां यह अधिकार निदेशक या समकक्ष पद के अधिकारी के पास होगा।

पुलिस के मामले में कम से कम पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद का प्राधिकृत अधिकारी ही ऐसी सूचना जारी कर सकता है। अधिकारियों को ऐसी सूचनाओं के कानूनी अधिकार और सांविधिक प्रावधानों, संबंधित सामग्री के गैरकानूनी होने की प्रकृति और उसके यूआरएल (यूनीफॉर्म रिसोर्स लोकेशन) आदि की जानकारी देनी अनिवार्य की गयी है। नियम 3(1)(डी) के अंतर्गत जारी सभी सूचनाओं की संबंधित सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा मासिक समीक्षा की जायेगी। समीक्षा अधिकारी सचिव स्तर से नीचे का नहीं होगा।

इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि ऐसी कार्रवाइयां जरूरी होने पर ही की जाएं और उल्लंघनों के अनुरूप तथा कानून सम्मत रहें।मंत्रालय का कहना है कि ये संशोधन नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और सरकार की वैध नियामक शक्तियों के बीच संतुलन बनाते हैं तथा कानून लागू करने में पारदर्शिता लाते हैं। सरकार का कहना है कि इन संशोधनों से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के तहत वैध प्रतिबंधों को सुदृढ़ करते हुए नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को कायम रखने में मदद मिलेगी।

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