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सुप्रीम कोर्ट ने दिए करूर भगदड़ मामले में सीबीआई जांच के आदेश, पूर्व न्यायाधीश करेंगे निगरानी

सुप्रीम कोर्ट ने दिए करूर भगदड़ मामले में सीबीआई जांच के आदेश, पूर्व न्यायाधीश करेंगे निगरानी

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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर। उच्चतम न्यायालय ने करूर में हुई भगदड़ की घटना की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के सोमवार को आदेश दिए, साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी को जांच की निगरानी के लिए गठित समिति का प्रमुख नियुक्त किया।

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने 27 सितंबर को अभिनेता विजय की रैली में हुई भगदड़ से संबंधित याचिकाओं पर विचार करने और एसआईटी जांच का आदेश देने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन सेंथिलकुमार की आलोचना भी की।

पीठ ने कहा, ‘‘जब घटना की जांच के अनुरोध वाली याचिकाएं मदुरै पीठ के समक्ष लंबित थीं, तब मुख्य न्यायाधीश के आदेश के बिना मुख्य पीठ के एकल न्यायाधीश का याचिकाओं पर विचार करने का कोई तुक नहीं था।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) और उसके सदस्यों को पक्षकार नहीं बनाया गया है और उन्हें सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना ही उनके खिलाफ टिप्पणियां की गईं। पीठ ने कहा, ‘‘एकल न्यायाधीश इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे या अदालत ने क्या सामग्री देखी, इसका भी कोई जिक्र फैसले में नहीं है। उक्त आदेश में केवल अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत दलीलों का जिक्र है।’’

शीर्ष अदालत ने 10 अक्टूबर को विजय की राजनीतिक पार्टी और अन्य द्वारा दायर याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। टीवीके ने सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में स्वतंत्र जांच कराए जाने का अनुरोध किया था और तर्क दिया कि यदि केवल तमिलनाडु पुलिस के अधिकारी जांच करेंगे तो निष्पक्ष जांच संभव नहीं होगी।

टीवीके की याचिका में उच्च न्यायालय द्वारा केवल तमिलनाडु पुलिस के अधिकारियों वाली एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किए जाने पर आपत्ति जताई गई थी। याचिका में पार्टी और अभिनेता-राजनेता के खिलाफ उच्च न्यायालय की इस तीखी टिप्पणी पर भी आपत्ति जताई गई थी कि घटना के बाद वह वहां से चले गए और उन्होंने कोई दुख नहीं जताया था।

इससे पहले पुलिस ने कहा था कि रैली में 27,000 लोग शामिल हुए जो अपेक्षित 10,000 प्रतिभागियों से लगभग तीन गुना अधिक थे, साथ ही इस त्रासदी के लिए विजय के कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने में सात घंटे की देरी को जिम्मेदार ठहराया गया था।

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