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कर्नाटक : सीएम सिद्धारमैया ने ट्रैफिक के लिए विप्रो की सड़क मांगी थी उधार, अजीम प्रेमजी ने ठुकराया प्रस्ताव

कर्नाटक : सीएम सिद्धारमैया ने ट्रैफिक के लिए विप्रो की सड़क मांगी थी उधार, अजीम प्रेमजी ने ठुकराया प्रस्ताव

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बेंगलुरु, 25 सितम्बर। देश की नामी सूचना प्रौद्योगिकी (IT)  कम्पनी विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार का वह प्रस्ताव ठुकरा दिया, जिसमें यातायात समस्या से बेहाल बेंगलुरु शहर को दिनभर लगे रहने वाले जाम से तनिक मुक्ति दिलाने के लिए परिसर की जमीन देने का आग्रह किया गया था। हालांकि अजीज प्रेमजी ने प्रस्ताव ठुकराने की वजह भी बताई है।

सिद्धारमैया सरकार ने आउटर रिंग रोड (ORR) पर ट्रैफिक जाम कम करने के लिए विप्रो के परिसर की जमीन मांगी थी और सीमित संख्या में वाहनों को विप्रो के कैंपस से होकर आने-जाने की इजाजत देने का अनुरोध किया था। प्रेमजी ने सीएम सिद्धारमैया को लिखे पत्र में कहा कि विप्रो एक लिस्टेड कम्पनी है और परिसर उसकी विशेष निजी संपत्ति है। इसे सार्वजनिक आवाजाही के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

विप्रो चेयरमैन ने सीएम सिद्धारमैया को पत्र लिखकर बताई वजह

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गत 19 सितम्बर को प्रेमजी को पत्र लिखकर कहा था कि यातायात विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विप्रो कैंपस से गाड़ियों को आने-जाने की इजाजत मिले तो आउटर रिंग रोड और उससे जुड़े रास्तों पर 30 फीसदी तक ट्रैफिक कम हो सकता है। पीक आवर्स के दौरान इससे बड़ी राहत मिल सकती है।

निजी परिसर से सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही की अनुमति से वैधानिक चुनौतियां पैदा होंगी

प्रेमजी ने कहा कि वह शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की चिंता करने के लिए राज्य सरकार की तारीफ करते हैं, लेकिन पत्र में उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसा करने के लिए कोई एक समाधान नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि विप्रो के सरजापुर कैंपस से सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही की अनुमति देने से कई कानूनी, प्रशासनिक और वैधानिक चुनौतियां पैदा होंगी।

प्रेमजी ने अपने पत्र में कहा कि विप्रो कर्नाटक सरकार के साथ मिलकर यातायात समस्या के समाधान में सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उनकी निजी संपत्ति से वाहनों की आवाजाही की इजाजत देने से भी ट्रैफिक समस्या का ठोस और दीर्घकालीन समाधान नहीं निकलेगा।

समस्या के उचित समाधान के लिए विशेषज्ञ एजेंसी से समग्र वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाए

विप्रो चेयरमैन के अनुसार उनका मानना है कि ट्रैफिक समस्या के उचित समाधान के लिए पहले किसी ऐसी एजेंसी से समग्र वैज्ञानिक अध्ययन कराना चाहिए, जिसे शहरी ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में विश्वस्तरीय अनुभव हो। इससे समस्या का चरणबद्ध तरीके से उपाय ढूंढा जा सकेगा।

बेंगलुरु आउटर रिंग रोड भीषण जाम और बदहाल सड़कों के लिए बदनाम

गौरतलब है कि बेंगलुरु में आउटर रिंग रोड अपने भीषण जाम और बदहाल सड़कों के लिए बदनाम है। यह मसला उस समय ज्यादा गरमा गया, जब ब्लैकबक कम्पनी के सीईओ और सह संस्थापक राजेश याबजी ने ट्रैफिक जाम की वजह से अपनी कम्पनी को दूसरी जगह शिफ्ट करने का ऐलान कर दिया।

राजेश याबजी का कहना था कि कम्पनी के कर्मचारियों को आने-जाने में कम से कम तीन घंटे का समय लगता है। उन्होंने सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे और धूल को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि स्थानीय प्रशासन का रवैया देखकर उन्हें लगता है कि आने वाले पांच वर्षों में भी यह समस्या सुधरने वाली नहीं है।

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