UN में भारत ने पाकिस्तान को फिर लताड़ा, कहा – ‘अफगानिस्तान को आतंकियों का अखाड़ा न बनने दे दुनिया…’
नई दिल्ली, 18 सितम्बर। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को फिर लताड़ लगाते हुए पूरी दुनिया से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकी संगठन अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए न करें।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने बुधवार को अफगानिस्तान पर हुई सुरक्षा परिषद की बैठक में यह बयान दिया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसकी ओर इशारा किया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि इन संगठनों और उनके मददगारों को अफगान जमीन का दुरुपयोग करने से रोकना होगा।
आतंक पर लगाम के लिए वैश्विक सहयोग की दरकार
हरीश ने कहा कि अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर भारत बारीकी से नजर रख रहा है। दुनिया को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकी संगठन, जैसे इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा और उनके सहयोगी लश्कर-ए-तैय्यबा व जैश-ए-मोहम्मद, अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंक फैलाने के लिए न करें।
भारत का मानना है कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय सहमति जरूरी है। भारत इस दिशा में सक्रिय है और दोहा में संयुक्त राष्ट्र की बैठकों समेत कई मंचों पर हिस्सा ले रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो बार अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से बात की है। भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की अफगानिस्तान की ओर से निंदा किए जाने का भी स्वागत किया।
जरूरत के वक्त अफगानिस्तान की मदद करता रहा है भारत
हरीश ने कहा कि अफगानिस्तान के हालिया भूकंप के बाद भारत ने फौरन मदद भेजी। भारत ने 1,000 परिवारों के लिए तंबू और 15 टन खाद्य सामग्री प्रभावित इलाकों में पहुंचाई। इसके अलावा 21 टन राहत सामग्री, जिसमें दवाइयां, कंबल, और जनरेटर शामिल हैं, भेजे गए। इससे अलावा और राहत सामग्री जल्द ही पहुंचने वाली है।
अगस्त, 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से भारत ने 50,000 टन गेहूं, 330 टन दवाइयां और टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक और अन्य जरूरी सामान अफगानिस्तान को दिया है। संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर भारत ने नशा मुक्ति कार्यक्रमों के लिए भी 84 टन दवाइयां और 32 टन सामाजिक सहायता सामग्री दी, खासकर महिलाओं के लिए।
अफगानिस्तान को फलता-फूलता देखना चाहता है भारत
हरीश ने जोर देकर कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच सभ्यता का गहरा रिश्ता है। भारत की दिली ख्वाहिश है कि अफगानिस्तान में अमन और तरक्की हो। अफगान लोगों की तरक्की के लिए भारत की प्रतिबद्धता अटल है। भारत ने अफगानिस्तान के सभी प्रांतों में 500 से ज्यादा विकास परियोजनाएं चलाई हैं।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पुरानी नीतियों से काम नहीं चलेगा। नई नीतियों और मदद की जरूरत है ताकि अफगान लोग गरीबी, बीमारी और भुखमरी से बाहर निकल सकें। भारत सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है ताकि अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और खुशहाली आए। उन्होंने कहा कि अफगान लोगों की मदद और क्षमता निर्माण भारत की पहली प्राथमिकता है।
