मेजर ध्यानचंद जयंती : राष्ट्रीय खेल दिवस 29 से 31 अगस्त तक राष्ट्रव्यापी खेल और फिटनेस आंदोलन के रूप में मनाया जा रहा

एनएसडी 2025 की भावना उत्कृष्टता, मित्रता, सम्मान के ओलंपिक मूल्यों और साहस, दृढ़ संकल्प, प्रेरणा और समानता के पैरालंपिक मूल्यों को भी विशेष सम्मान देती है। प्रख्यात एथलीट और जन प्रतिनिधि भी समारोह में भाग लेने और देश के सभी हिस्सों में खेल गतिविधियों में शामिल होने के लिए तैयार हैं। विख्यात खिलाड़ी 29 अगस्त को राज्य की राजधानियों के साथ-साथ सभी जिलों में खेल के मैदानों पर कदम रखेंगे।
National Sports Day 🏑 honours Major Dhyan Chand’s legacy on August 29. It celebrates India’s sports champions, including recent Olympic and World Cup successes
The day inspires all to embrace fitness, unity, and perseverance through sports, promoting a stronger, healthier… pic.twitter.com/K2svZ3fSXl
— PIB India (@PIB_India) August 29, 2025
मेजर ध्यानचंद : खेल के माध्यम से युवाओं की प्रेरक पीढ़ियां
भारत में खेलों का महत्व मेजर ध्यानचंद को स्थायी प्रतीक बनाए जाने के रूप में प्रदर्शित होता है, जिनकी जयंती 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाई जाती है। महानतम हॉकी खिलाड़ियों में से एक माने जाने वाले ध्यानचंद अपने असाधारण गेंद नियंत्रण और गोल स्कोरिंग क्षमताओं के लिए विख्यात थे, जिसके कारण उन्हें “हॉकी के जादूगर” और “बाजीगर” की उपाधियां मिलीं। मेजर ध्यानचंद एकाग्रता, विनम्रता और राष्ट्रीय गौरव की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं जो युवा खिलाड़ियों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है।
On National Sports Day, we pay heartfelt tributes to the legendary hockey wizard Major Dhyan Chand ji.
Sports inculcate discipline, teamwork & determination, shaping both character and nation. Under the leadership of Hon’ble PM Shri @narendramodi ji, India is scaling new heights… pic.twitter.com/HOgR0Ew9Xq
— Dr.L.Murugan (@DrLMurugan) August 29, 2025
सरकार खेलों को युवा सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण के मुख्य स्तंभ के रूप में देखती है
दरअसल, भारत सरकार खेलों को युवा सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण के मुख्य स्तंभ के रूप में देखती है। इस विजन को आगे बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए युवा मामले और खेल मंत्रालय को 3,794 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड आवंटन किया है। 2,191 करोड़ रुपये का एक बड़ा हिस्सा, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटित किया गया है, वित्त वर्ष 2014-15 में मंत्रालय को बजट आवंटन 1643 करोड़ रुपये था, जो 2025-26 में 130.9 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की
भारत को अन्य देशों की तुलना में अधिक जनसांख्यिकीय लाभ प्राप्त है। यहां की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, जिससे यह विश्व में सबसे बड़ी युवा जनसंख्या वाला देश बन गया है। इस जनसांख्यिकीय लाभ की क्षमता को पहचानते हुए, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने युवा विकास और खेल को बढ़ावा देने के लक्ष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसका उद्देश्य 2047 तक देश को विकसित भारत बनने के अपने लक्ष्य की ओर ले जाना है।
भारतीय खेल प्राधिकरण
युवा मामले और खेल मंत्रालय के तत्वावधान में भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) को खेलों को बढ़ावा देने और राष्ट्रीयता तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल उत्कृष्टता अर्जित करने के दोहरे उद्देश्यों का दायित्व सौंपा गया है।
लक्ष्य और उद्देश्य
- निचले स्तर पर प्रतिभा स्काउटिंग और उत्कृष्टता के लिए प्रतिभा का पोषण
- प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय अनुभव
- वैज्ञानिक और खेल उपकरण तथा विज्ञान से जुड़े कर्मियों के साथ सहायता प्रशिक्षण
- वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रणाली के साथ प्रदर्शन की निगरानी कर उसे बेहतर बनाना
- राष्ट्रीय टीमों का प्रशिक्षण और तैयारी
- खेल अवसंरचना विकास और रखरखाव
- दिल्ली में 4 स्टेडियम परिसरों और एक शूटिंग रेंज का रखरखाव तथा उन्नयन
- खेल की विभिन्न स्पर्धाओं में उच्च क्षमता के कोच और शारीरिक शिक्षा देने वाले विशेषज्ञों को व्यापक आधार वाले खेलों में तैयार करना
- एमवाईएएस जैसे खेलो इंडिया, एनएसएफ को सहायता, टॉप्स, फिट इंडिया की विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करना
राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025
18 अगस्त, 2025 को लागू राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, 2025, भारतीय खेल प्रशासन में एक ऐतिहासिक सुधार का प्रतिनिधित्व करता है। अधिनियम को एक एकीकृत ढांचा स्थापित करने के लिए लागू किया गया था जो ओलंपिक चार्टर, पैरालंपिक चार्टर और विश्वस्तरीय सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों के अनुरूप पारदर्शिता, जवाबदेही, नैतिकता और एथलीट कल्याण सुनिश्चित करता है।
खेलो भारत नीति 2025
जुलाई 2025 में लॉन्च की गई, खेलो भारत नीति 2025 भारत के खेल इको-सिस्टम में एक आमूलचूल बदलाव का प्रतीक है। खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रमों द्वारा रखी गई नींव पर आधारित इस नीति का उद्देश्य खेलों को एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन और एक व्यवहार्य योग्य करियर के रूप में बदलना है, जो विकसित भारत के लक्ष्यों और 2036 ओलंपिक की मेजबानी की आकांक्षा के साथ जुड़ा हुआ है।
इसके प्रमुख तत्वों में शामिल हैं –
खेलो भारत नीति केवल एक नीति ही नहीं है – यह प्रतिभा को पोषित करने, प्रेरणादायक भागीदारी और भारत को एक अग्रणी खेल राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता भी है।
खेलो इंडिया – खेलों के विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम
वित्त वर्ष 2016-17 में शुरू किया गया, खेलो इंडिया – राष्ट्रीय खेल विकास कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर भागीदारी और खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है। सरकार द्वारा मजबूती से आगे बढ़ाई गई इस योजना को 2021 में 3,790.50 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पांच साल के लिए विस्तार मिला, जिससे देश भर में खेल संस्कृति को पोषित करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को सुदृढ़ किया गया।
प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं –
- 3,151.02 करोड़ रुपये की 328 नई खेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी।
- जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण और सहायता के लिए 1,045 खेलो इंडिया केंद्रों (केआईसी) की स्थापना।
- 34 खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्रों (केआईएससीई) की अधिसूचना और 306 अकादमियों को मान्यता।
- कोचिंग, उपकरण, चिकित्सा देखभाल और 10,000 रुपये के मासिक आउट-ऑफ-पॉकेट भत्ते के साथ 2,845 खेलो इंडिया एथलीटों (केआईए) के लिए सहायता।
कीर्ति (खेलो इंडिया राइजिंग टैलेंट आइडेंटिफिकेशन)
कीर्ति (खेलो इंडिया राइजिंग टैलेंट आइडेंटिफिकेशन) 9 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच खेल प्रतिभा की पहचान करने और पोषण करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पहल है।
कीर्ति-(खेलो इंडिया राइजिंग टैलेंट आइडेंटिफिकेशन) का लक्ष्य एथलीटों के एक स्थायी और निरंतर समूह का निर्माण करना है ताकि भारत को 2036 तक शीर्ष 10 खेल देश और 2047 तक शीर्ष 5 देश बनने में मदद मिल सके।
टारगेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम (टॉप्स)
सरकार ने ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेलों की तैयारियों में भारत के शीर्ष एथलीटों के लिए समर्थन को सुदृढ़ किया है। चयनित एथलीटों को अनुकूलित प्रशिक्षण और अन्य सहायता के लिए राष्ट्रीय खेल विकास निधि (एनएसडीएफ) से वित्त पोषित किया जाता है जो मंत्रालय की सामान्य योजनाओं के अंतर्गत अनुपलब्ध है। कोर ग्रुप एथलीटों को आउट ऑफ पॉकेट भत्ता (ओपीए) 50,000 प्रति माह रुपये दिया जाता है।
फिट इंडिया मूवमेंट
फिटनेस को हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने के उद्देश्य से फिट इंडिया मूवमेंट शुरू किया गया था। आंदोलन का मिशन व्यवहारगत परिवर्तन लाना और शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन शैली की ओर बढ़ना है, जो फिटनेस के लिए जन आंदोलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान को दर्शाता है।
इस आंदोलन ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसमें प्रख्यात फिटनेस विशेषज्ञों और फिट इंडिया आइकन द्वारा ‘फिट इंडिया- हेल्दी हिन्दुस्तान’ कार्यक्रम नामक एक विशेष ऑनलाइन श्रृंखला 2023 में शुरू की गई थी। वहीं, परिवारों के बीच फिटनेस दिनचर्या को विकसित करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों के साथ फिट इंडिया परिवार सत्र भी आयोजित किए गए।
राष्ट्रीय खेल परिसंघों (एनएसएफ) को सहायता
यह योजना राष्ट्रीय खेल संघों को भारत में प्रतिस्पर्धी खेलों के इको-सिस्टम को सुदृढ़ करने में सक्षम बनाती है। राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का आयोजन, अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी करना, विदेशों में भारतीय एथलीटों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाना, कोचिंग शिविर स्थापित करना, विदेशी कोचों की नियुक्ति और उन्नत उपकरणों की खरीद आदि के जरिए इसे सहायता प्रदान की जाती है। इसका उद्देश्य एथलीटों को संरचित, पेशेवर अनुभव और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करना है।
राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय
गौरतलब हो, भारत में खेलों के लिए एक रूपांतनकारी विजन के साथ, सरकार ने एक मजबूत खेल इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए खेल शिक्षा को प्राथमिकता दी है, जिससे एथलेटिक्स को शौकिया खिलाड़ी की जगह एक पेशेवर कैरियर में बदला जा सके। मणिपुर के इंफाल में 2018 में स्थापित राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और कोचिंग में खेल शिक्षा के लिए एक समर्पित संस्थान है, जो कैनबरा और विक्टोरिया जैसे विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों के माध्यम से वैश्विक सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाकर चुनिंदा स्पर्धाओं के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी काम करता है। यह संस्था वैश्विक प्रतिभा का पोषण करने के लिए राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संयोजित करते हुए शारीरिक शिक्षा, खेल विज्ञान और विशिष्ट प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है।
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार
राष्ट्रीय खेल दिवस (29 अगस्त) पर राष्ट्रपति द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किए जाने वाले ये पुरस्कार एथलीटों, कोचों और संस्थानों को सम्मानित करते हैं जिन्होंने भारतीय खेलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रमुख पुरस्कारों में शामिल हैं-
मेधावी खिलाड़ियों को पेंशन
यह योजना सेवानिवृत्त एथलीटों के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में देश के लिए पुरस्कार अर्जित किए हैं। पात्र खिलाड़ी, 30 वर्ष की आयु तक पहुंचने और सेवानिवृत्ति के बाद, 12,000 रुपये और 20,000 रुपये के बीच आजीवन मासिक पेंशन प्राप्त करते हैं। यह सहायता राशि उनके चुनौती भरे समय में बहुत मददगार साबित होती है।
खिलाड़ियों के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कार्यक्रम
यह कल्याणकारी कार्यक्रम वित्तीय या स्वास्थ्य संबंधी कठिनाई का सामना करने वाले प्रतिष्ठित पूर्व एथलीटों को 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है। सहायता में चिकित्सा उपचार, खेल उपकरण की खरीद और खेल आयोजनों में भागीदारी जैसे व्यय शामिल हैं। यह उन खिलाडियों के लिए निरंतर गरिमा और सहायता सुनिश्चित करता है जिन्होंने राष्ट्र को सम्मान दिलाया।
राष्ट्रीय खेल विकास कोष
राष्ट्रीय खेल विकास कोष (एनएसडीएफ) निजी क्षेत्र, एनआरआई और परोपकारी संगठनों से वित्तीय योगदान जुटाता है। ये कोष सार्वजनिक निवेश के पूरक हैं और बुनियादी ढांचे को विकसित करने, उच्च क्षमता वाले एथलीटों की सहायता करने और अभिनव कार्यक्रमों के वित्त पोषण के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिससे खेल विकास के लिए एक सहयोगात्मक मॉडल तैयार होता है।
राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र
वहीं, 2017 में आरंभ किया गया राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (एनसीएसएसआर) भारतीय एथलीटों के लिए वैज्ञानिक सहायता को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 2025-26 तक 260 करोड़ रुपये के बजट के साथ, इसमें केंद्रीय एनसीएसएसआर हब शामिल है और यह चिकित्सा संस्थानों में छह विश्वविद्यालय आधारित खेल विज्ञान विभागों और पांच खेल चिकित्सा विभागों की सहायता करता है। यह योजना खेल विज्ञान और चिकित्सा के माध्यम से उन्नत अनुसंधान, चोट की रोकथाम, पुनर्वास और प्रदर्शन वृद्धि को बढ़ावा देती है।
भारत की खेल यात्रा रूपांतरकारी
भारत की ओलम्पिक यात्रा में 2016 और 2024 के बीच एक उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया, जिसने एथलेटिक उत्कृष्टता के एक नए युग को चिह्नित किया। रियो 2016 में 117 सदस्यीय दल द्वारा 2 पदकों की मामूली संख्या की तुलना में भारत ने टोक्यो 2020 में 7 पदक जीते और पेरिस 2024 में 6 पदकों के साथ मजबूत प्रदर्शन बनाए रखा। दोनों ओलम्पिक खेलों में एथलीटों की संख्या क्रमशः 124-117 थी। इस अवधि में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वालों में नीरज चोपड़ा, एथलेटिक्स (भाला) में भारत के पहले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता (टोक्यो 2020) और भारोत्तोलन में नियमित पदक विजेता मीराबाई चानू शामिल हैं।
बढ़ी हुई भागीदारी से लेकर वैश्विक स्पर्धाओं में पदक जीतने तक भारत की खेल यात्रा रूपांतरकारी रही है। राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम 2025 और खेलो भारत नीति 2025 जैसे सुधारों के साथ, भारत एक मजबूत इको-सिस्टम का निर्माण कर रहा है जिसने एथलेटिक क्षमता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों में बदल दिया है।
