ऋषभ पंत बोले – ‘भारत की तरफ से खेलना ही मेरा बचपन का सपना था, IPL के बारे में कभी नहीं सोचा’
नई दिल्ली, 11 मार्च। टीम इंडिया के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत का मानना है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है, लेकिन युवा क्रिकेटरों को देश का प्रतिनिधित्व करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उसके बाद चीजें स्वयं ही अनुकूल होती जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि पंत बीते रविवार को दुबई में तीसरी बार ICC चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे, हालांकि उन्हें एक भी मैच खेलने का अवसर नहीं मिला और टीम प्रबंधन ने उनपर केएल राहुल को वरीयता दी, जो अपेक्षाओँ पर खरे भी उतरे।
‘यदि आपका लक्ष्य देश की तरफ से खेलना है तो चीजें अनुकूल होती जाएंगी’
वर्ष 2017 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले उत्तराखंडवासी 27 वर्षीय पंत ने जिओ हॉटस्टार से बातचीत में कहा, ‘बचपन से मेरा एक ही सपना था, भारत की तरफ से खेलना। मैंने कभी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलने के बारे में नहीं सोचा। मुझे लगता है कि लोग आज आईपीएल पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा मंच है। लेकिन मेरा मानना है कि यदि आपका लक्ष्य देश की तरफ से खेलना है तो चीजें अनुकूल होती जाएंगी और इनमें आईपीएल भी शामिल है। यदि आप इस तरह की बड़ी सोच रखते हैं तो सफलता आपका अनुसरण करेगी।’

दिसम्बर, 2022 में भयावह कार दुर्घटना के चलते एक वर्ष से ज्यादा समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर रहे ऋषभ ने कहा, ‘मैं हमेशा सोचता था कि मुझे एक दिन भारत की तरफ से खेलना है। ईश्वर के आशीर्वाद से मुझे 18 वर्ष की उम्र में यह मौका मिला और मैं इसके लिए आभारी हूं।’
बताया – छक्का लगाने में अक्सर बल्ला क्यों छिटक जाता है
वस्तुतः पंत को अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है और उनका ट्रेडमार्क शॉट एक हाथ से छक्का लगाना है। ऐसा करने में अक्सर बल्ला उनके हाथ से छूट जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसा क्यों होता है। उन्होंने कहा, ‘ मुझे लगता है कि अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेरे निचले हाथ की ग्रिप ढीली होती है। मैं अपने निचले हाथ का उपयोग केवल थोड़ा मदद के लिए करता हूं लेकिन कभी-कभी यह हावी हो जाता है। इसलिए मैं अपने ऊपरी हाथ की ग्रिप को कसकर रखता हूं।’
भारत के लिए 43 टेस्ट मैचों में 42.11 के औसत व 73.62 की स्ट्राइक रेट से छह शतक व 15 अर्धशतक सहित 2948 रन बना चुके पंत ने कहा, ‘जब गेंद बहुत अधिक बाहर या शॉर्ट पिच हो तो शॉट लगाना आसान नहीं होता है। इस तरह के शॉट खेलने में सफलता की दर 30 या 40 प्रतिशत हो सकती है, लेकिन मैच की परिस्थितियों को देखते हुए मैं यह जोखिम लेने के लिए तैयार रहता हूं। मेरी मानसिकता इसी तरह की है।’
‘जिम्नास्टिक से जुड़े होने का क्रिकेटर के रूप में फायदा मिला’
टेस्ट के अलावा 31 एक दिनी व 76 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके ऋषभ पंत ने कहा कि वह बचपन में जिम्नास्टिक से जुड़े हुए थे, जिसका एक क्रिकेटर के रूप में उन्हें फायदा मिला। उन्होंने कहा, ‘मैं बचपन में जिम्नास्टिक करता था। मेरे जिम्नास्टिक कोच हमेशा मुझसे कहते थे कि यह जीवन में बहुत काम आएगा। भारतीय टीम के हमारे ट्रेनर बासु सर ने एक बार मुझसे कहा था कि अपने जिम्नास्टिक कोच को धन्यवाद देना क्योंकि उन्होंने बचपन में जो कुछ भी आपको सिखाया था, उसका आज भी आपको फायदा मिल रहा है। मैं हैंड स्प्रिंग्स का अभ्यास करता रहा और इसने निश्चित रूप से मेरी फिटनेस में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।’
