स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने जारी किया वीडियो संदेश – HMPV नया वायरस नहीं, चिंता की कोई बात नहीं’
नई दिल्ली, 6 जनवरी। भारत में भी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के कुछ मामलों की पुष्टि होने के बाद इस नए वायरस के प्रसार को लेकर चिंता बढ़ने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सोमवार को देशवासियों को आश्वस्त किया कि यह कोई नया वायरस नहीं है और इससे घबराने कोई जरूरत नहीं है।
वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर बढ़ते भय और चर्चा को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा ने एक वीडियो संदेश में इस बात पर जोर दिया कि सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
जेपी नड्डा ने कहा, ‘स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हुई थी और यह कई सालों से पूरी दुनिया में फैल रहा है। एचएमपीवी सांस के जरिए हवा के जरिए फैलता है। यह हर आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। यह वायरस सर्दियों और शुरुआती वसंत के महीनों में ज्यादा फैलता है।’
Human Metapneumovirus (HMPV) is not a new virus and has been circulating globally for many years.
The health systems and surveillance networks of the country remain vigilant, ensuring the country is ready to respond promptly to any emerging health challenges. There is no cause… pic.twitter.com/IN1o5N38dq
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) January 6, 2025
नड्डा ने कहा, ‘चीन में एचएमपीवी के मामलों की हालिया रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र चीन के साथ-साथ पड़ोसी देशों में स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्थिति का संज्ञान लिया है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट साझा करेगा।’
भारत में छह मामले दर्ज किए जा चुके हैं
भारत में सोमवार को एचएमपीवी के छह मामलों की पुष्टि हुई, जिनमें से कर्नाटक के बेंगलुरु और तमिलनाडु के चेन्नई में दो-दो, गुजरात के अहमदाबाद और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक-एक मामले शामिल हैं।
हल्के सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण पैदा करता है HMPV
दरअसल, HMPV एक आम श्वसन वायरस है, जो आम तौर पर हल्के सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण पैदा करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि यह 1970 के दशक से मानव आबादी में फैल रहा है, हालांकि इसे पहली बार वैज्ञानिकों ने 2001 में पहचाना था।
यह वायरस वैश्विक स्तर पर तीव्र श्वसन संक्रमणों के 4-16 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है, जिसके मामले आमतौर पर नवम्बर और मई के बीच चरम पर होते हैं जबकि अधिकतर वयस्कों ने पहले से ही एचएमपीवी के संपर्क में आने के कारण प्रतिरक्षा विकसित कर ली है। एचएमपीवी पहली बार इसका सामना करने वाले शिशुओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में अधिक गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है।
जेपी नड्डा ने कहा, ‘आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के पास उपलब्ध श्वसन वायरस के लिए देश के आंकड़ों की भी समीक्षा की गई है और भारत में किसी भी सामान्य श्वसन वायरल रोगजनकों में कोई उछाल नहीं देखा गया है। स्थिति की समीक्षा के लिए चार जनवरी को स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की अध्यक्षता में संयुक्त निगरानी समूह की बैठक हुई। देश की स्वास्थ्य प्रणालियां और निगरानी नेटवर्क सतर्क हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि देश किसी भी उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है। चिंता का कोई कारण नहीं है। हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।’