नई दिल्ली, 14 दिसम्बर। उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने देश में पराली जलाने से निबटने के लिए एक व्यवस्थित समाधान की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि लापरवाही लोगों के जीवन को खतरे में डालती है। शनिवार को यहां विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी हर साल पराली जलाने से उत्पन्न खतरनाक पर्यावरणीय परिस्थितियों से पीड़ित होती है। समाज को नवाचार को अपनाना चाहिए और इसे व्यक्तियों पर छोड़ने के बजाय एक व्यवस्थित समाधान की तलाश करनी चाहिए।
Hon’ble Vice-President, Shri Jagdeep Dhankhar addressed the National Energy Conservation Day celebrations at Vigyan Bhawan in New Delhi today. #EnergyConservationDay #SaveEnergy @shripadynaik @MinOfPower @mnreindia pic.twitter.com/eWcmlLtb8Y
— Vice-President of India (@VPIndia) December 14, 2024
‘हमारी लापरवाही हमें कई तरह से खतरे में डाल रही‘
जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘तंत्र को परिपक्व होना चाहिए…हमारी लापरवाही हमें कई तरह से खतरे में डाल रही है। एक तो हमारा स्वास्थ्य। दूसरा, काम के घंटों का नुकसान। तीसरा, सामान्य जीवन में व्यवधान और चौथा, हमें अपने बच्चों का ख्याल रखना होगा।’
We must find a systemic solution to stubble burning! It should not be left to individuals.
The National Capital suffers every year on account of hazardous environmental situations arising out of stubble burning.
Our lack of attention. Our negligence is putting us in jeopardy in… pic.twitter.com/1tU9k7JvE6
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उन्होंने पराली जलाने के लिए एक व्यवस्थित समाधान खोजने का आह्वान किया और कहा कि इसे व्यक्तियों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन जैसी खतरनाक समस्या सामाजिक बाधाओं को मिटा देती है। अमीर या गरीब, शहरी या ग्रामीण। हमें एक साथ काम करना चाहिए, या हम एक साथ नष्ट हो जाएंगे।’
लोकाचार और पारंपरिक ज्ञान का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘हमारा सभ्यतागत ज्ञान एक विरासत है और मैं कहूंगा कि एक तरह से इस जलवायु आपातकाल के लिए उत्तरजीविता मैनुअल, विश्वकोश है। हमारे पास हजारों वर्षों के सभ्यतागत लोकाचार, हमारे वेद, पुराण, हमारे महाकाव्य महाभारत, रामायण और गीता का ज्ञान है। यदि हम उस सोने की खान को देखें, तो हमें वास्तविक प्रेरणा मिलती है कि संरक्षण हमेशा एक महत्वपूर्ण कारक रहा है, जीवन का एक पहलू रहा है।’