प्रियंका गांधी का लोकसभा में सरकार पर करारा हमला – ‘आज के राजा भेष तो बदलते हैं, लेकिन जनता के बीच नहीं जाते…’
नई दिल्ली, 13 दिसम्बर। केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र 14वें दिन आज संविधान पर चर्चा के दौरान केंद्र की एनडीए सरकार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जबर्दस्त हमला बोला। प्रियंका ने लोकसभा में अपने पहले संबोधन में कहा, ‘आज के राजा आलोचनाओं से डरते हैं। विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया जाता है, उन्हें सताया जाता है, पूरे देश का माहौल भय से भर दिया है।’
‘भय फैलाने वाले खुद भय का शिकार बन जाते हैं‘
कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने कहा, ‘मैं याद दिलाना चाहती हूं कि ऐसा डर का माहौल देश में अंग्रेजों के राज में था, जब इस तरफ बैठे हुए गांधी के विचारधारा के लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे और उस विचारधारा के लोग अंग्रेजों के साथ सांठ-गांठ कर रहे थे। लेकिन भय का भी अपना स्वभाव होता है। भय फैलाने वाले खुद भय का शिकार बन जाते हैं। आज इनकी भी यही हालत हो गई है। भय फैलाने के इतने आदी हो गए हैं कि चर्चा से डरते हैं। आलोचनाओं से डरते हैं।
’15 दिनों में प्रधानमंत्री सिर्फ 10 मिनट के लिए दिखे‘
प्रियंका ने कहा पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘राजा भेष बदलकर आलोचना सुनने जाता था। लेकिन आज के राजा भेष तो बदलते हैं, शौक तो है उनको भेष बदलने का, लेकिन न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की। मैं तो सदन में नई हूं। सिर्फ 15 दिन से आ रही हूं। लेकिन मुझे ताज्जुब होता है कि इतने बड़े-बड़े मुद्दे हैं, प्रधानमंत्री जी सिर्फ एक दिन के लिए 10 मिनट दिखे हैं। बात ये है कि ये देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है। इसको बनाने वाले देश के किसान, जवान, करोड़ों मजदूर और गरीब जनता है। संविधान इनको साहस देता है। मेहनती मिडिल क्लास है। इस देश के करोड़ों देशवासी हैं, जो रोजाना भयंकर परिस्थितियों का सामना करते हैं, उनको साहस देता है।
LIVE: Smt @priyankagandhi ji speaks on the 75th anniversary of the adoption of the Indian Constitution in the Lok Sabha. https://t.co/p66hc73DuW
— Congress (@INCIndia) December 13, 2024
‘ये देश उठेगा और लड़ेगा…‘
कांग्रेस नेता ने कहा – संविधान ने साहस और आत्मविश्वास दिया है। ये देश भय से नहीं चलता है। भय की भी सीमा होती है और जब वो पार हो जाती है तो उसमें एक ऐसी शक्ति पैदा होती है, जिसके सामने कोई कायर नहीं खड़ा हो सकता। देश ज्यादा देर तक कायरों के हाथ में नहीं रहा है। ये देश उठेगा, लड़ेगा, सत्य मांगेगा। सत्यमेव जयते।
‘इनके यहां वॉशिंग मशीन है‘
प्रियंका गांधी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘सरकारों को पैसे के बल पर गिरा देते हैं। सत्तापक्ष के हमारे साथी ने उदाहरण दिया यूपी सरकार का। मैं भी उदाहरण दे देती हूं महाराष्ट्र की सरकार का। गोवा की सरकार। हिमाचल की सरकार। क्या ये सरकारें जनता ने नहीं चुनी थीं। पूरे देश की जनता जानती है कि इनके यहां तो वाशिंग मशीन है। जो यहां से वहां जाता है, वो धुल जाता है। इस तरफ दाग, उस तरफ स्वच्छता। मेरे कई ऐसे साथी हैं, जो इस तरफ होते थे, उस तरफ चले गए, मुझे दिख भी रहे हैं कि वॉशिंग मशीन में धुल गए हैं। जहां भाईचारा और अपनापन होता था, वहां शक और घृणा के बीज बोए जा रहे हैं। एकता का सुरक्षा कवच तोड़ा जा रहा है।’
‘संविधान ने हमें एकता दी है…‘
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, यहां सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं, लेकिन संभल में, मणिपुर में न्याय की गुहार उठती है तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती। शायद समझ नहीं पाए हैं कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है। भारत के संविधान ने हमें एकता दी है। हमें आपसी प्रेम दिया। उस मोहब्बत की दुकान, जिस पर आपको हंसी आती है। उसके साथ करोड़ों देशवासी चले।’
‘जनता को सच बोलने से डराया जाता है‘
प्रियंका ने कहा, ‘इनकी जो विभाजनकारी नीतियां हैं, उसका नतीजा हम रोज देखते हैं। राजनीतिक फायदे के लिए संविधान को छोड़िए, देश की एकता की भी सुरक्षा नहीं कर सकते। संभल में देखा, मणिपुर में देखा। दरअसल, इनका कहना है कि अलग-अलग इस देश के अलग-अलग हिस्से हैं। हमारा संविधान कहता है कि ये देश एक है और एक रहेगा। जहां खुला विवाद होता था, अभिव्यक्ति का सुरक्षा कवच होता था, इन्होंने माहौल पैदा किया है। सत्तापक्ष के मेरे साथी अक्सर 75 साल की बात करते हैं। लेकिन 75 सालों में ये उम्मीद, आशा, अभिव्यक्ति की ज्योति थमी नहीं। जब-जब जनता नाराज हुई, सत्ता को ललकारा। चाय की दुकानों में, नुक्कड़ की दुकानों में, चर्चा कभी बंद नहीं हुई। लेकिन आज ये माहौल नहीं है। आज जनता को सच बोलने से डराया जाता है।’
‘सरकार, अडानीजी के मुनाफे पर चल रही है‘
वायनाड सांसद ने कहा, ‘अडानी जी को सारे कोल्ड स्टोरेज आपकी सरकार ने दिए। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ देश की जनता को नकारा जा रहा है। सारे बिजनेस, सारे संसाधन, सारी दौलत, सारे मौके, एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, एयरपोर्ट, सड़कें, रेलवे का काम, कारखाने, खदानें, सरकारी कम्पनियां सिर्फ एक व्यक्ति को दी जा रही हैं। जनता को भरोसा था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान हमारी रक्षा करेगा। मगर आज सरकार सिर्फ अडानीजी के मुनाफे पर चल रही है। जो गरीब है, वो और गरीब हो रहा है। जो अमीर है, वो और अमीर हो रहा है।’
‘आपने क्या किया, वो बताइए‘
प्रियंका गांधी ने कहा, ‘आज हमारे साथी ज्यादातर अतीत की बात करते हैं। अतीत में क्या हुआ। नेहरू जी ने क्या किया। अरे वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए। आप क्या कर रहे हैं। आपकी जिम्मेदारी क्या है। सारी जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू की है। ये सरकार आर्थिक न्याय का सुरक्षा कवच तोड़ रही है। आज संसद में बैठी सरकार बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता को क्या राहत दे रही है। कृषि कानून भी उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं। वायनाड से लेकर ललितपुर तक इस देश का किसान रो रहा है। आपदा आती है तो कोई राहत नहीं मिलती। भगवान भरोसे है आज इस देश का किसान। जितने भी कानून बने हैं, वो बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं। हिमाचल में सेब के किसान रो रहे हैं क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सब बदल रहा है।’
‘नारी शक्ति का कानून लागू क्यों नहीं करते‘
उन्होंने कहा, ‘आज जातिगत जनगणना की बात हो रही है। सत्तापक्ष के साथी ने इसका जिक्र किया। ये जिक्र इसलिए हुआ क्योंकि चुनाव में ये नतीजे आए। ये इसलिए जरूरी है ताकि हमें पता चले कि किसकी क्या स्थिति है। इनकी गंभीरता का प्रमाण ये है कि जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए। तो इनका जवाब था – भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे। ये गंभीरता है इनकी।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हमारे संविधान ने आर्थिक न्याय की नींव डाली। किसानों, गरीबों को जमीन बांटी। जिसका नाम लेने से कभी-कभी झिझकते हैं और कभी-कभी धड़ाधड़ इस्तेमाल किया जाता है, उन्होंने तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों से मिटाया जा सकता है। भाषणों से मिटाया जा सकता है। लेकिन उनकी जो भूमिका रही, देश की आजादी के लिए, देश के निर्माण के लिए, उसे कभी मिटाया नहीं जा सकता।’
प्रियंका ने कहा, ‘पहले संसद चलती थी तो जनता की उम्मीद होती थी कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा करेगी। लोग मानते थे कि नई आर्थिक नीति बनेगी तो अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बनेगी। किसान और आदिवासी भाई बहन भरोसा करते थे यदि जमीन के कानून में संशोधन होगा तो उनकी भलाई के लिए होगा। आप नारी शक्ति की बात करते हैं। आज चुनाव की वजह से इतनी बात हो रही है। क्योंकि हमारे संविधान ने उनको ये अधिकार दिया। उनकी शक्ति को वोट में परिवर्तित किया। आज आपको पहचानना पड़ रहा है कि उनके बिना सरकार नहीं बन सकती। जो आप नारी शक्ति का अधिनियम लाए हैं, उसे लागू क्यों नहीं करते। क्या आज की नारी 10 साल उसका इंतजार करेगी।’
‘संविधान सुरक्षा कवच है, जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है‘
उन्होंने कहा, ‘हमारे देश के करोड़ों देशवासियों के संघर्ष में, अपने अधिकारों की पहचान में, और देश से न्याय की अपेक्षा ने हमारे संविधान की ज्योत जल रही है। मैंने हमारे संविधान की ज्योत को जलते हुए देखा है। हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच है, जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है। न्याय का कवच है। एकता का कवच है। अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है। दुख की बात ये है कि मेरे सत्तापक्ष के साथी जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं, उन्होंने 10 सालों में ये सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया है। संविधान में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, ये वादा सुरक्षा कवच है, जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है। लेटरल एंट्री और निजिकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है। अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आए होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती। इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी। इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी।’
‘आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी, वही आज हमारा संविधान है‘
वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘हजारों साल पुरानी हमारे देश की परंपरा संवाद और चर्चा की रही है। वाद-विवाद और संवाद की पुरानी संस्कृति है। अलग-अलग धर्मों में भी ये वाद-संवाद, चर्चा-बहस की संस्कृति रही है। इसी परंपरा से उभरा हमारा स्वतंत्रता संग्राम। हमारा स्वतंत्रता संग्राम अनोखी लड़ाई थी, जो अहिंसा और सत्य पर आधारित थी। हमारी ये जो लड़ाई थी आजादी के लिए, बेहद लोकतांत्रिक लड़ाई थी। इसमें हर वर्ग शामिल था। सबने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। उसी आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी, जो हमारे देश की आवाज थी, वो आवाज ही हमारा संविधान है। साहस की आवाज थी, हमारी आजादी की आवाज थी और उसी की गूंज ने हमारे संविधान को लिखा और बनाया।’
‘संविधान ने हर किसी को सरकार बनाने-बिगाड़ने का अधिकार दिया है‘
उन्होंने कहा, ‘ये सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है। बाबा आंबेडकर, मौलाना आजाद जी और जवाहरलाल नेहरू जी और उस समय के तमाम नेता इस संविधान को बनाने में सालों जुटे रहे। हमारा संविधान इंसाफ, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है, जो हर हिन्दुस्तानी के दिल में जलती है। इसने हर भारतीय को ये पहचानने की शक्ति दी कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है। उसे अपने अधिकारों की आवाज उठाने की क्षमता है। जब वो आवाज उठाएगा तो सत्ता को उसके सामने झुकना पड़ेगा। इस संविधान ने हर किसी को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता है।’