विनेश फोगाट को मिला गोल्ड मेडल, गृहनगर लौटने पर बलाली के ग्रामीणों ने किया सम्मानित
चरखी दादरी (हरियाणा), 18 अगस्त। महिलाओं की फ्रीस्टाइल 50 किग्रा कुश्ती के फाइनल में पहुंचने के बावजूद अधिक वजन होने के कारण पदक से वंचित विनेश फोगाट को पेरिस ओलम्पिक खेलों में भले ही मायूस होना पड़ा, लेकिन गृहनगर चरखी दादरी लौटने पर पैतृक गांव बलाली के निवासियों ने अपनी लाडली को सिर आंखों पर बैठा लिया। इस क्रम में आयोजित एक समारोह के दौरान विनेश को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
स्वदेश लौटने के बाद फोगाट जब पैतृक गांव बलाली पहुंचीं तो उनके स्वागत सम्मान में हजारों लोग सड़कों पर खड़े थे। बलाली में एक अनोखे और भावपूर्ण समारोह में गांव के बुजुर्गों ने फोगाट को प्रतीकात्मक स्वर्ण पदक देकर यह सुनिश्चित किया कि वह एक सच्ची चैम्पियन की तरह महसूस करें।
Balali promised, Balali delivered!
🥇 Vinesh Phogat was presented a gold medal by community elders in her native village. A massive crowd is in attendance despite the felicitation beginning well past midnight.
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— Sportstar (@sportstarweb) August 17, 2024
इस स्नेह के प्रदर्शन से स्पष्ट रूप से अभिभूत फोगट ने कहा कि उन्हें जो स्वागत मिला, वह किसी भी जीत की खुशी से कहीं बढ़कर था। अपने लोगों से मिले समर्थन से गद्गद विनेश ने कहा कि यह स्वागत 1000 ओलम्पिक पदक जीतने से भी बेहतर है।
गौरतलब है कि विनेश ने पेरिस ओलम्पिक 2024 में 50 किग्रा स्पर्धा के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया था। लेकिन 29 वर्षीया पहलवान को फाइनल की सुबह अयोग्य घोषित कर दिया गया था। कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) ने भी बाद में अयोग्यता के खिलाफ फोगट की अपील खारिज कर दी। इससे ओलम्पिक रजत पदक हासिल करने की उनकी उम्मीदें पूरी तरह धराशायी हो गईं।
हालांकि भारत लौटने के बाद उनका शानदार स्वागत हुआ। फोगाट के भाई हरिंदर पुनिया ने कहा, ‘सभी लोग उनको हौसला देने के लिए आगे आ रहे हैं। वो पदक नहीं जीत सकीं, लेकिन इससे हमारा हौसला कम नहीं हुआ है और निश्चित रूप से ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतेंगे।’ वहीं फोगाट की मां प्रेम लता ने कहा, ‘सब इंतजार कर रहे हैं…मेरी बेटी चैम्पियन है…देश ने उसे स्वर्ण पदक से भी ज्यादा सम्मान दिया है।’