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पश्चिम यूपी में ठाकुर समाज की नाराजगी से भाजपा की परेशानी बढ़ी, 12 सीटों पर रामनवमी के बाद तय होंगे उम्मीदवार

पश्चिम यूपी में ठाकुर समाज की नाराजगी से भाजपा की परेशानी बढ़ी, 12 सीटों पर रामनवमी के बाद तय होंगे उम्मीदवार

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लखनऊ, 8 अप्रैल। लोकसभा चुनाव में इस बार 400 पार का नारा बुलंद करने में जुटी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शीर्ष नेतृत्व पश्चिम यूपी में ठाकुर समाज की बढ़ी नाराजगी और कैसरगंज सीट से चुनाव लड़ने अमादा ब्रज भूषण शरण सिंह के तीखे तेवरों से परेशानी में पड़ता नजर आ रहा है। यही वजह है कि यूपी की शेष बची 12 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर माथापच्ची तेज हो गई है और भाजपा नेताओं का कहना है कि रामनवमी के बाद इन सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नामों का एलान किया जाएगा।

क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में भाजपा पर लगाया समाज को धोखा देने का आरोप

फिलहाल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पश्चिम यूपी में नाराज ठाकुर समाज के लोगों को मनाने के रास्ते खोजने में जुटा है। पश्चिम यूपी के ननौता गांव में रविवार ( सात अप्रैल) को क्षत्रिय समाज की संघर्ष समिति की ओर से आयोजित क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर ठाकुर समाज को धोखा देने का आरोप लगाया गया और कहा गया कि उनके इतिहास के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। राजनीतिक द्वेष भावना से समाज को कमजोर किया जा रहा है और इस लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में ठाकुर समाज की अनदेखी की जा रही है, इसलिए ठाकुर समाज पश्चिम यूपी की 27 सीटों पर इस चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देगा।

पश्चिम यूपी की 27 सीटों पर भाजपा को वोट न देने की अपील

किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह के इस प्रस्ताव पर एकजुट होकर जताई गई सहमति से भाजपा नेताओं को झटका लगा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि पश्चिम यूपी की इन 27 सीटों में प्रत्येक सीट पर ठाकुर समाज की आबादी औसतन 70 हजार से डेढ़ लाख के बीच है और ठाकुर समाज की नाराजगी से इस सीटों पर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

उम्मीदवार तय करने में सतर्कता बरती जा रही

ठाकुर समाज की यह नाराजगी यूपी के अन्य इलाकों में ना पहुचे पहुंचे इसके लिए अब भाजपा के सीनियर नेता शेष बची 12 सीटों पर उम्मीदवार तय करने में सतर्कता बरतने लगे हैं। इन 12 सीटों से चुनाव लड़ने की दावेदारी करने वाले टिकटार्थियों में जमकर रस्साकशी चल रही है। ऐसे में उम्मीदवार तय करने में भाजपा नेतृत्व को अच्छा-खासी मशक्करत करनी पड़ रही है। इन सीटों पर उम्मीदवार तय करने को लेकर भाजपा की बड़ी उलझन जिताऊ चेहरा तय करने को लेकर है।

बृजभूषण शरण सिंह कैसरगंज सीट को लेकर अड़े

भाजपा रायबरेली, गाजीपुर और मैनपुरी में चुनाव जीतना चाहती है, लेकिन उसके पास यहां जिताऊ उम्मीदवार नहीं हैं। कैसरगंज और गाजीपुर सीट को लेकर भी भाजपा नेतृत्व उलझन में है. गाजीपुर सीट पर विपक्ष का कब्जा है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा इस सीट से अपने बेटे के लिए टिकट चाह रहे हैं जबकि कैसरगंज सीट पर मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह खुद मैदान में उतरने के लिए अड़े हैं।

महिला पहलवानों से जुड़े विवादों से घिरे होने के नाते भाजपा उनके परिवार के किसी सदस्य या उनकी सहमति के किसी अन्य चेहरे को उतारना चाहती है, लेकिन बृजभूषण मानने को तैयार नहीं हैं। ठाकुर समाज की नाराजगी को देखते हुए उन्हे मनाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रयागराज, फूलपुर और कौशांबी को लेकर भी फंसा है पेच

प्रयागराज, फूलपुर और कौशांबी में भी मौजूदा सांसदों के स्थान पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नए चेहरे पर दांव लगाने की सोच रहा है। योगी सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के प्रयास में हैं। उनकी कोशिश है कि इन तीनों में किसी भी एक सीट पर उनकी पत्नी का समायोजन कर दिया जाए।

कुछ नेताओं की राजनीतिक महात्वाकांक्षा से पनपा है असंतोष – भूपेंद्र चौधरी

फिलहाल पार्टी के टिकट वितरण से ठाकुर समाज की नाराजगी को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मान रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा के कुछ नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते पश्चिमी यूपी में ठाकुर समाज में असंतोष दिखाई दे रहा है। इसे जल्द ही मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा। रही बात शेष बची सीटों पर प्रत्याशियों के नामों के एलान का तो रामनवमी के बाद यह कार्य भी पूरा हो जाएगा।

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