नई दिल्ली, 2 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154वीं जयंती पर सोमवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनकी कालजयी शिक्षाएं हमारा मार्गदर्शन करती रहती हैं। मोदी ने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी दो अक्टूबर को उनकी जयंती पर याद करते हुए कहा कि उनकी सादगी और राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “मैं गांधी जयंती के विशेष अवसर पर महात्मा गांधी को नमन करता हूं। उनकी कालजयी शिक्षाएं हमारा मार्गदर्शन करती रहती हैं।” उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का प्रभाव वैश्विक है, जो पूरी मानव जाति को एकता और करुणा की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम हमेशा उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में काम करें। गांधी के विचार हर युवा को उनके (गांधी के) सपनों के अनुरूप परिवर्तन का वाहक बनने में सक्षम बनाएं तथा सभी जगह एकता और सद्भाव को बढ़ावा दें।” बाद में प्रधानमंत्री राजधानी के राजघाट स्थित बापू के समाधि स्थल भी गए और उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर वहां सर्व धर्म प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
शास्त्री को श्रद्धांजलि देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं। उनकी सादगी, राष्ट्र के प्रति समर्पण और ‘जय जवान, जय किसान’ का प्रतिष्ठित आह्वान आज भी गूंजता है, जो पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।” उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान उनका नेतृत्व अनुकरणीय है। मोदी ने कहा, “हम हमेशा एक मजबूत भारत के उनके सपने को साकार करने के लिए काम करें।’’
प्रधानमंत्री ने शास्त्री के समाधि स्थल विजय घाट जाकर उन्हें भी श्रद्धासुमन अर्पित किए। महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में दो अक्टूबर 1869 को हुआ था। उनके जन्मदिन को गांधी जयंती के साथ ही अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजाद कराने की लड़ाई का नेतृत्व किया था।
अहिंसक विरोध का उनका सिखाया सबक आज भी पूरी दुनिया में सम्मान के साथ याद किया जाता है। वहीं, शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म दो अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी सादगी और विनम्रता के लोग कायल थे। उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था।