पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत बोले – ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ संभव है, लेकिन एक रोडमैप का पालन करना होगा
नई दिल्ली, 1 सितम्बर। भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ओम प्रकाश रावत ने कहा है केंद्र सरकार प्रस्तावित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना को लागू करना संभव है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र इसे लागू करना चाहता है तो संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में कुछ संशोधन करने होंगे। इसके साथ ही वीवीपैट और ईवीएम के निर्माण, अतिरिक्त तैनाती के लिए अतिरिक्त धन और समय की आवश्यकता होगी। अर्धसैनिक बलों की भी आवश्यकता होगी।
1952, 1957, 1962, 1967 में एक साथ हो चुके हैं लोकसभा और विधानसभा चुनाव
ओपी रावत ने शुक्रवार को कहा, ‘यह संभव है। हमें बस एक रोडमैप का पालन करना होगा और सभी राजनीतिक दलों को अपने साथ लाना होगा।’ पूर्व सीईसी ने यह भी याद दिलाया कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर चर्चा पहली बार 2014-15 में हुई थी, जब चुनाव आयोग से इसकी संभावना के बारे में पूछा गया था। तदनुसार, चुनाव आयोग ने सरकार को सूचित किया था कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ 1952, 1957, 1962 और 1967 में हुआ था, जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे।
गौरतलब है कि सरकार ने आज ही ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है, जिससे लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने की संभावना खुल गई है ताकि उन्हें राज्य विधानसभा चुनावों की श्रृंखला के साथ आयोजित किया जा सके।
सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि कोविंद इस अभ्यास की व्यवहार्यता और तंत्र का पता लगाएंगे कि देश कैसे एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव कराने की स्थिति में वापस आ सकता है, जैसा कि 1967 तक होता था। उम्मीद है कि रामनाथ कोविंद विशेषज्ञों से बात करेंगे और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से भी सलाह ले सकते हैं। सरकार का यह फैसला 18 से 22 सितम्बर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने के फैसले के एक दिन बाद आया है, जिसका एजेंडा गुप्त रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ चुनाव के विचार के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिसमें लगभग निरंतर चुनाव चक्र के कारण होने वाले वित्तीय बोझ और मतदान अवधि के दौरान विकास कार्यों को झटका लगने का हवाला दिया गया है। इसमें स्थानीय निकाय भी शामिल हैं।