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चंद्रयान-3 की सफलता पर ISRO के पूर्व अध्यक्ष सिवन ने कहा – ‘मेरा सपना सच हो गया, मैं बेहद खुश हूं’

चंद्रयान-3 की सफलता पर ISRO के पूर्व अध्यक्ष सिवन ने कहा – ‘मेरा सपना सच हो गया, मैं बेहद खुश हूं’

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नई दिल्ली, 24 अगस्त। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि उनका सपना कल सच हो गया और वह बेहद खुश हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने बुधवार को चांद की सतह पर लैंडिंग करते ही एक इतिहास रच दिया। भारत, चंद्रमा के साउथ पोल पर स्पेसक्राफ्ट उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर पहुंचने वाला विश्व का चौथा देश बन गया। चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर बीते बुधवार शाम 6 बजकर 04 मिनट पर लैंडिंग की।

इस बीच के सिवन ने कहा, ‘मैंने चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दिन और कल की तुलना की तो निश्चित रूप से चंद्रमा पर जाने और दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने का मेरा सपना कल सच हो गया, इसलिए मुझे बेहद खुशी है कि कल ये सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हो गई।’

उन्होंने कहा, ‘आखिरकार हमारी प्रार्थनाएं सच हुईं। लैंडिंग के बाद हम वापस नहीं आए, रोवर लैंडर से बाहर आने तक मैं कंट्रोल रूम में ही बैठा रहा। रोवर लैंडर से बाहर आया और चंद्रमा की सतह पर चला गया, इसे देखने के बाद ही मैं देर रात अपने घर वापस आया।’

‘चंद्रयान-2 में हुई एक छोटी सी गलती के कारण हम सफलता हासिल नहीं कर सके थे

इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘चंद्रयान-2 में हुई एक छोटी सी गलती के कारण हम सफलता हासिल नहीं कर सके, अन्यथा हम चार साल पहले ही ये सब कुछ हासिल कर सकते थे। अब हम बहुत खुश हैं कि हमने उस गलती से सीखा और इसे ठीक किया। 2019 में ही हमने चंद्रयान-3 को कॉन्फिगर किया और क्या सुधार करना है, यह भी 2019 में ही तय किया गया था। कल हमने उस प्रयास का फल देखा।’

गौरतलब है कि सात सितम्बर, 2019 को चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया के दौरान चंद्रयान-2 उस समय असफल हो गया था, जब उसका लैंडर ‘विक्रम’ ब्रेक संबंधी प्रणाली में गड़बड़ी होने के कारण चांद की सतह से टकरा गया था।

उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3 मिशन पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई और 14 जुलाई को इसे प्रक्षेपण यान ‘लॉन्च ह्वीकल मार्क-3′ (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। लैंडर और छह पहियों वाले रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। लैंडर में सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे।

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