यूक्रेन ने सस्ते दाम में रूसी तेल खरीदने पर भारत को कोसा, कहा – ‘यदि आप हमारे दुखों से लाभान्वित होते हैं…’
नई दिल्ली, 6 दिसम्बर। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने सस्ते रूसी तेल के आयात को लेकर भारत पर निशाना साधा है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, ‘भारत के लिए सस्ते दाम पर रूसी तेल खरीदने का अवसर इस तथ्य से आता है कि यूक्रेनियन रूसी आक्रामकता से पीड़ित हैं और हर दिन मर रहे हैं। यदि आप हमारे कष्टों के कारण लाभान्वित होते हैं, तो यह अच्छा होगा कि आपकी हमें अधिक सहायता मिले।’
विदेश मंत्री जयशंकर के बयान का दे रहे थे जवाब
यूक्रेन के विदेश मंत्री भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस बयान का जवाब दे रहे थे कि इस साल फरवरी और नवम्बर के महीनों के बीच यूरोपीय संघ (ईयू) ने अगले 10 देशों की तुलना में रूस से अधिक जीवाश्म ईंधन का आयात किया है। कुलेबा ने कहा, ‘यूरोपीय संघ पर अंगुली उठाना और यह कहना काफी नहीं है कि ओह, वे भी वही काम कर रहे हैं।’
‘पीएम मोदी को युद्ध समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है‘
कुलेबा के अनुसार सस्ते रूसी तेल आयात करने के भारत के निर्णय को यूक्रेन में मानवीय पीड़ा के चश्मे से देखा जाना चाहिए। यूक्रेनी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को युद्ध को समाप्त करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
यूक्रेनी विदेश मंत्री ने कहा, ‘वैश्विक क्षेत्र में भारत एक बहुत ही महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और भारत के प्रधानमंत्री अपनी आवाज से बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा, “हम उस पल का इंतजार कर रहे हैं, जब भारतीय विदेश नीति संघर्ष को ‘यूक्रेन में युद्ध’ नहीं, बल्कि ‘यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रमण’ का नाम देगी।”
यूएन में मॉस्को के खिलाफ वोटिंग नहीं करने पर बोले कुलेबा
यह सर्वविदित है कि रूस के साथ भारत एक करीबी सामरिक संबंध रखता है और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में मॉस्को के खिलाफ मतदान में बार-बार अनुपस्थित रहा है, जो यूक्रेनी क्षेत्र के रूसी कब्जे की निंदा करता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या नई दिल्ली के हस्तक्षेप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सोच में वास्तविक रूप से कोई बदलाव आ सकता है, कुलेबा ने कहा कि ठोस प्रयास करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “यदि आप कोशिश नहीं करते तो कुछ भी नहीं बदल सकता। हमने आपके प्रधानमंत्री से कुछ उत्साहजनक संदेश आते देखे हैं – जब उन्होंने कहा कि यह युद्ध का समय नहीं है।’