करगिल विजय दिवस पर बोले रक्षा मंत्री राजनाथ – ‘मैं पं. नेहरू या किसी भारतीय प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं कर सकता’
जम्मू, 24 जुलाई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को करगिल विजय दिवस की वर्षगांठ पर यहां शहीदों परिवारों को सम्मानित किया। गुलशन ग्राउंड में आयोजित एक कार्यक्रम दौरान उन्होंने भारत द्वारा अब तक लड़े गए युद्धों और सैनिकों की वीरगाथा का विस्तार से जिक्र किया।
‘पूर्व में किसी भारतीय पीएम की नीति भले गलत रही हो, लेकिन नीयत नहीं’
राजनाथ सिंह ने 1962 में चीन से लड़े गए युद्ध का जिक्र करते हुए कहा, ‘उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। बहुत सारे लोग जवाहर लाल नेहरू की आलोचना करते हैं। मैं एक विशेष राजनीतिक दल से आता हूं। लेकिन मैं पंडित नेहरू या किसी भारतीय प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं कर सकता। मैं किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नीयत को गलत नहीं ठहरा सकता। उनकी नीति भले गलत रही हो, लेकिन नीयत नहीं।’
कारगिल विजय, भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का गौरवपूर्ण अध्याय है। https://t.co/UfYdl5qH1n
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 24, 2022
‘पीओके पर पाकिस्तान का अनाधिकृत कब्जा‘
रक्षा मंत्री ने अपने भाषण के दौरान कहा, ‘पीओके पर पाकिस्तान का अनाधिकृत कब्जा है। भारत की संसद में इसे मुक्त कराने का एक सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित है। शिव के स्वरूप बाबा अमरनाथ हमारे पास हैं, पर शक्ति स्वरूपा शारदा जी का धाम अभी एलओसी के उस पार ही है।’
भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देने वाले पराक्रमी सैनिकों और सुरक्षा बलों के परिवारों को आज जम्मू में कारगिल विजय दिवस की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित करके स्वयं को धन्य महसूस किया। pic.twitter.com/yuiocupkgD
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 24, 2022
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘1965 और 1971 की लड़ाई में बुरी तरह परास्त होने के बाद पाकिस्तान ने सीधे युद्ध का रास्ता छोड़ कर छद्म युद्ध का रास्ता पकड़ा। लगभग दो दशकों से भी अधिक समय तक पाकिस्तान ने भारत को ‘प्रॉक्सी वार’ में उलझाए रखा और वह सोचते था कि भारत को हजार घाव दे देगा।’
ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को याद किया
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर ब्रिगेडियर उस्मान और मेजर सोमनाथ शर्मा को याद करते हुए कहा, ‘ब्रिगेडियर उस्मान को आज आजादी अमृत महोत्सव में बार-बार याद करने की जरूरत है। 1948 के युद्ध में इसी तरह मेजर सोमनाथ शर्मा का बलिदान भी स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। मेजर सोमनाथ शर्मा ने बहादुरी और बलिदान से जम्मू और कश्मीर को दुश्मनों के हाथों में जाने से बचाया। 1948 में पहली बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकाम किया और आज जम्मू और कश्मीर का जो स्वरूप हम देख रहे है, उसे बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।’