दिल्ली सरकार के मुफ्त बिजली के दावों पर हमलावर हुए गौतम गंभीर, सीएम अरविंद केजरीवाल को ठग कहा
नई दिल्ली, 17 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी के सांसद गौतम गंभीर ने दिल्ली सरकार के मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने के दावे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सस्ती बिजली देने का दावा झूठा है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोगों को ठग रहे हैं।
गौतम गंभीर ने एक बाद एक कई ट्वीट करते हुए कहा कि बिजली बिल को लेकर दिल्ली सरकार के सारे दावे झूठे हैं। गंभीर ने लिखा, “दिल्ली का काला सच! दिल्ली के 11 लाख घरों की कमर तोड़कर, बिजली मुफ्त का झूठ बेचता है एक ‘आम आदमी’! पिछले सात सालों में बिजली कम्पनियों की कमाई में कोई कमी नहीं आई। कम्पनियां दिल्ली से हर साल 20 हजार करोड़ कमाती हैं।”
पिछले 7 सालों में बिजली कंपनियों की कमाई में कोई कमी नहीं आयी. हर साल 20 हज़ार करोड़ कमाती हैं कम्पनियाँ दिल्ली से
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) July 16, 2022
गंभीर ने अन्य ट्वीट में लिखा, ’20 हजार करोड़ में से 16 हजार करोड़ का भुगतान दिल्ली के 11 लाख परिवारों की कमर तोड़कर होता है, जो 10 रुपये यूनिट देते हैं, पूरे देश में सबसे ज़्यादा! बाकी चार हजार करोड़ का भुगतान दिल्ली सरकार करती है। ये पैसा आम आदमी पार्टी अपने फंड से नहीं देती, दिल्ली के टैक्सपेयर देते हैं। पिछले सात सालों में सब्सिडी के नाम पर दिल्ली सरकार ने गरीब जनता के 28 हजार करोड़ कम्पनियों को दिए हैं। बिजली मुफ्त है के झूठ को फैलाने के लिए भी टैक्सपेयर के हजारों करोड़ विज्ञापनों पर खर्च किए जाते हैं। 2012 के मुकाबले 2022 तक दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट में 4200% की बढ़ोतरी हुई है।’
बाकी 4 हज़ार करोड़ का भुगतान दिल्ली सरकार करती हैं. ये पैसा आम आदमी पार्टी अपने फण्ड से नहीं देती, दिल्ली के टैक्सपेयर देते हैं. पिछले 7 सालों में सब्सिडी के नाम पर दिल्ली सरकार ने गरीब जनता के 28 हज़ार करोड़ कंपनियों को दिए हैं
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) July 16, 2022
गौरतलब है कि हाल ही में बिजली वितरण कम्पनियों द्वारा ग्राहकों पर लगाए जाने वाले बिजली खरीद समायोजन लागत (पीपीएसी) में जून के मध्य से चार प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इस बढ़ोतरी का सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। केजरीवाल सरकार के इस फैसले का भाजपा ने जमकर विरोध किया है। भाजपा सांसद सांसद रमेश बिधूड़ी के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के विरोध में मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन भी किया था।