योगी सरकार 2.0 से डॉ. नीलकंठ तिवारी का पत्ता कटा, वाराणसी से डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने मारी बाजी
लखनऊ, 25 मार्च। भारतीय जनता पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाल ली है। शुक्रवार को यहां इकाना स्टेडियम में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में योगी सरकार का भव्य शपथ ग्रहण समारोह हो रहा था, उस वक्त लोगों की निगाहें पीम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से बनने वाले मंत्रियों पर भी टिकी हुई थीं।
रवींद्र जायसवाल और अनिल राजभर कैबिनेट में अपनी जगह बचाने में सफल रहे
योगी कैबिनेट में पिछली बार वाराणसी के तीन विधायकों – डॉ. नीलकंठ तिवारी (शहर दक्षिणी), रवींद्र जायसवाल (शहर उत्तरी) और अनिल राजभर (शिवपुर) को जगह मिली थी, लेकिन इस बार नीलकंठ का नाम गायब था। वहीं पिछली बार की तरह अबकी भी अनिल राजभर और रवींद्र जायसवाल मंत्रिमंडल में अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे।
डीएवी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य हैं दयाशंकर मिश्र
दरअसल, वाराणसी में जितनी चर्चा नीलकंठ तिवारी की छुट्टी को लेकर नहीं हैं, उससे कहीं ज्यादा चर्चा वाराणसी के डीएवी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ के मंत्री बनाए जाने की है। ऐसा इसलिए कि समर्थकों में ‘दयालु गुरु’ के नाम से लोकप्रिय डॉ. दयाशंकर मिश्र को भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव का टिकट भी नहीं दिया था।
चुनाव पूर्व इस बात की चर्चा जरूर थी कि भाजपा आलाकमान नीलकंठ तिवारी की जगह दयालु गुरु को चुनावी मैदान में उतार सकती है, लेकिन उस समय नीलकंठ तिवारी ने बाजी मार ली थी और दयालु गुरु मन मसोस कर रह गए थे।
कई विवादित मामलों में नीलकंठ का नाम सामने आया था
माना जा रहा है कि विश्वनाथ कॉरिडोर सहित कई तरह के अन्य विवादित मामलों में नीलकंठ तिवारी का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा था। इसलिए अंत समय में योगी सरकार में शपथ लेने वाले विधायकों को लिस्ट से उनका नाम काट दिया गया। यह भी कहा जा रहा है कि काशी के कई संघ स्वयंसेवकों ने भी नीलकंठ तिवारी के विषय में प्रतिकूल टिप्पणी दी थी।
बीते चुनाव में नीलकंठ तिवारी का प्रदर्शन भी बेहद खराब रहा और उन्हें सपा प्रत्याशी कामेश्वर दीक्षित से कड़ी टक्कर मिली थी। मतगणना में काफी उतार-चढ़ाव के बाद अंत में उन्होंने कामेश्वर को 10,722 वोटों से हरा दिया था। लेकिन चुनाव जीतकर भी वह अपना मंत्री पद नहीं बचा सके।
वर्ष 2014 में मोदी लहर के बीच कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए दयालु
वहीं वर्ष 2014 के मोदी लहर में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले दयाशंकर मिश्र बिना किसी सदन के सदस्य होते हुए भी मंत्री बन गए हैं। चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक पूर्वांचल विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष दयालु गुरु को अब मंत्री बनने के छह माह के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना होगा।
रवींद्र अपने व्यवहार और काम से जनता के बीच खासे लोकप्रिय
दूसरी तरफ अगर योगी सरकार 2.0 की बात करें तो वाराणसी के शिवपुर विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार चुने गए विधायक अनिल राजभर और वाराणसी शहर उत्तरी से तीसरी बार चुने गए रवींद्र जायसवाल फिर मंत्री पद पाने में कामयाब रहे हैं।
अनिल राजभर ने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बेटे को दी है मात
रवींद्र जायसवाल अपने व्यवहार और काम के कारण जनता के बीच खासे लोकप्रिय हैं वहीं अनिल राजभर ने सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को चुनावी पटखनी देते हुए राजभर वोटों को बीजेपी के पाले में सुरक्षित बनाए रखा।इस प्रकार देखा जाए तो भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने अनिल राजभर को मंत्री पद की कुर्सी बतौर ईनाम दी है।