यूपी चुनाव : छठे चरण में पूर्वाह्न 11 बजे तक 21.79 फीसदी मतदान, सिद्धार्थनगर सबसे आगे
लखनऊ 3 मार्च। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तहत छठे चरण में गुरुवार को 10 जिलों की 57 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है और पूर्वाह्न 11 बजे तक 21.79 लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया था।
निर्वाचन आयोग की ओर से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार मतदान के शुरुआती चार घंटे में सबसे ज्यादा 23.42 फीसदी वोटिंग सिद्धार्थनगर में दर्ज की गई जबकि उस समय तक बलरामपुर में सबसे कम 18.98 फीसदी मतदान हुआ था।
प्रयागराज जिले के हण्डिया विधानसभा क्षेत्र में पुनर्मतदान
छठे चरण में अम्बेडकरनगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया तथा बलिया जिले में सुबह सात बजे से मतदान शुरू हो गया था, जो शाम छह बजे तक चलेगा। इसी क्रम में पांचवे चरण के मतदान के दौरान कुछ अहम दस्तावेज गुम होने के कारण प्रयागराज जिले के 258-हण्डिया विधानसभा क्षेत्र में पुनर्मतदान हो रहा है।
2.15 करोड़ मतदाता 676 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे
छठे चरण में 57 विधानसभा क्षेत्रों में 676 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें से 66 महिला प्रत्याशी हैं। इस चरण में 2.15 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 1.15 करोड़ पुरुष, एक करोड़ करोड़ महिला तथा 1363 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। मतदेय स्थलों पर जो मतदाता शाम छह बजे उपस्थित रहेंगे, उन सभी मतदाताओं को मताधिकार का प्रयोग करने दिया जाएगा।
सीएम योगी, अजय लल्लू व स्वामी प्रसाद सहित कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
छठे चरण में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रियों के अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी, खेल मंत्री उपेन्द्र तिवारी, सूर्य प्रताप शाही, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह, सीएम के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी, नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, भाजपा छोड़ कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, बसपा विधानमंडल दल के नेता रहे लालजी वर्मा और सपा सरकार में मंत्री रहे नारद राय आदि शामिल हैं।
वर्ष 2017 में भाजपा ने इन क्षेत्रों में अकेले जीती थीं 46 सीटें
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों में से अकेले भाजपा के खाते में 46 सीटें आई थीं जबकि सहयोगी अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को एक-एक सीट मिली थी। सुभासपा अब समाजवादी पार्टी गठबंधन का हिस्सा है। उस चुनाव में सपा को मात्र तीन सीटों से संतोष करना पडा था वहीं बसपा को चार और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।